कोरोना के डर से जब किसी ने नहीं छुआ लावारिस वृद्धा का शव, मुस्लिम भाईयों ने किया अंतिम संस्कार
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कोरोना के डर से जब किसी ने नहीं छुआ लावारिस वृद्धा का शव, मुस्लिम भाईयों ने किया अंतिम संस्कार

बिलासपुर में टीआई कलीम खान ने एक हिंदू वृद्धा के शव का अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी ली. उन्होंने कुछ मुस्लिम युवाओं के साथ मिलकर उर्जा पार्क राजकिशोर नगर मुक्तिधाम में हिन्दू रिवाज के साथ वृद्धा का अंतिम संस्कार किया.

फाइल फोटो

शैलेंद्र ठाकुर/बिलासपुर: कोरोना महामारी का अब सामाजिक दुष्प्रभाव दिखने लगा है. समाज से मानवता खत्म हो रही है. हालात यह है कि कोरोना से मौत होने के बाद खुद परिजन ही अंतिम संस्कार करने से बच रहे हैं.

इसी बीच छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो कोरोना आपदा में मानवता और भाईचारे की अनोखी मिसाल पेश करती है. दरअसल शहर के पुराना बस स्टैंड के पास एक वृद्धा की लावारिश लाश कई घंटो तक पड़ी रही. संक्रमण के डर के कारण लोग वृद्धा के शव के पास भी नहीं भटक रहे थे.

जब इसकी जानकारी तालापारा के टीआई कलिम खान को मिली तो कलिम खान ने मृतक वृद्धा का पता लगाने की कोशिश की. जिसमें सामने आया कि उसका नाम चंदा बाई(75 वर्ष) है. मृतका का कोई परिजन नहीं था और वह पुराना बस स्टैंड के पास भीख मांगकर अपना जीवन यापन करती थी.

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ऐसे में टीआई कलीम खान ने तालापारा के कुछ मुस्लिम युवक को जिम्मेदारी दी. जिसके बाद उन्होंने मिलकर उर्जा पार्क राजकिशोर नगर मुक्तिधाम में हिन्दू रिवाज के साथ वृद्धा का अंतिम संस्कार किया.

मिली जानकारी के मुताबिक इन मुस्लिम युवकों की टीम ने इससे पहले भी ऐसे कई बेसहारा वृद्ध लोगों का अंतिम संस्कार किया है. गौर करने वाली बात यह है कि अभी रमजान का पवित्र महीना चल रहा है और टीआई सहित सभी सदस्य रोजे में हैं. टीआई कलीम खान का कहना है कि, ''मैं वर्दीधारी हूं और वर्दी ही मेरी जात है. मैं जात पात के इस बंधन से दूर हूं मैं मानवता को मानता हूं.''

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