शिवराज सरकार ने इलेक्शन में ब्लैकमनी के इस्तेमाल मामले की जांच आर्थिक अपराध अन्वेक्षण ब्यूरो (Economic Offences Wing) को सौंपते हुए केस दर्ज करने का निर्देश दिया था. ईओडब्ल्यू ने जो प्राथमिकी दर्ज की है उसमें किसी का नाम अभी शामिल नहीं किया है.
Trending Photos
भोपालः इलेक्शन में ब्लैकमनी के इस्तेमाल के मामले में मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा 5 जनवरी को दोपहर 12 बजे चुनाव आयोग के सामने पेश हुए. मध्य प्रदेश सरकार के दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने इलेक्शन कमीशन को बताया कि EOW ने सीबीडीटी के रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए प्रिलिमनरी इंक्वायरी रजिस्टर की है. साथ ही कमीशन से और 2 हफ्ते का समय मांगा. अगली मुलाकात में अधिकारी इस मामले में EOW के एक्शन के बारे में चुनाव आयोग को फिर अवगत कराएंगे.
ईओडब्ल्यू मामले में दर्ज कर चुका है प्राथमिकी
गौरतलब है कि शिवराज सरकार ने इस मामले की जांच आर्थिक अपराध अन्वेक्षण ब्यूरो (Economic Offences Wing) को सौंपते हुए केस दर्ज करने का निर्देश दिया था. ईओडब्ल्यू ने जो प्राथमिकी दर्ज की है उसमें किसी का नाम अभी शामिल नहीं किया है. राज्य के मुख्य सचिव और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव मंगलवार को चुनाव आयोग के समक्ष इस केस में ईओडब्ल्यू द्वारा लिए गए अब तक के एक्शन का पूरा ब्यौरा देने के लिए पेश हुए. मामला एमपी विधानसभा चुनावा 2018 और लोकसभा चुनाव 2019 में कालेधन के इस्तेमाल से जुड़ा है.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की बेटी पहले ही प्रयास में बनीं IAS, बताया सफलता का राज
जानिए क्या है इलेक्शन में ब्लैकमनी का मामला
लोकसभा चुनाव-2019 से पहले मध्य प्रदेश में कई स्थानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी. इसके बाद चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल के मामले में भारतीय चुनाव आयोग के उप चुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को 5 जनवरी को दिल्ली तलब किया था. इससे पहले आयोग ने 16 दिसंबर 2020 को मुख्य सचिव को भेजे पत्र में यह साफ कर दिया था कि केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड की जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसी संबंध में बात होगी.
MP Board की 10वीं-12वीं की परीक्षा में होगी दो माह की देरी! ऑनलाइन कराने पर हो रहा विचार
तीन IPS व 1 SAS अफसर पर गाज गिरनी तय, 64 विधायकों के नाम, 13 बीजेपी में शामिल
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की रिपोर्ट में 3 आईपीएस अफसरों सुशोभन बनर्जी, वी. मधुकुमार व संजय माने के अलावा राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा का नाम शामिल था. इस पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश शासन को पत्राचार के जरिए इन चारों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे. सीबीडीटी की रिपोर्ट में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के मंत्री सहित 64 विधायकों के नाम हैं. इनमें 13 विधायक रिपोर्ट आने से पहले ही बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. इसमें प्रद्युमन सिंह तोमर और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव शिवराज सरकार में मंत्री हैं और सिंधिया समर्थक हैं. रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम सीधे तौर पर नहीं शामिल है, लेकिन दिग्विजय सिंह के नाम का जिक्र है.
WATCH LIVE TV