MP उपचुनाव : BSP ने ग्वालियर-चंबल की 8 सीटों पर खोले पत्ते, 'हाथ' का खेल बिगाड़ सकता है 'हाथी'
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MP उपचुनाव : BSP ने ग्वालियर-चंबल की 8 सीटों पर खोले पत्ते, 'हाथ' का खेल बिगाड़ सकता है 'हाथी'

मध्य प्रदेश में चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखों का ऐलान अब तक नहीं किया है, लेकिन उससे पहले ही राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है. कांग्रेस और बीजेपी से पहले बीएसपी ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. पार्टी ने 8 सीटों पर अपने पत्ते खोले हैं.

फाइल फोटो

भोपाल : मध्य प्रदेश में चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखों का ऐलान अब तक नहीं किया है, लेकिन उससे पहले ही राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है. कांग्रेस और बीजेपी से पहले बीएसपी ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. पार्टी ने 8 सीटों पर अपने पत्ते खोले हैं. बीएसपी ने जिन सीटों पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, वो ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं. 

बीएसपी ने जौरा सीट से बीएसपी के पूर्व विधायक सोनेराम कुशवाहा को टिकट दिया गया है.वहीं मुरैना से रामप्रकाश राजौरिया, अंबाह से भानुप्रताप सिंह सखवार, मेहगांव से योगेश मेघसिंह नरवरिया, गोहद से जसवंत पटवारी, डबरा से संतोष गौड़, पोहरी से कैलाश कुशवाह, करेरा से राजेंद्र जाटव को मैदान में उतारा है. 

मायावती बिगाड़ सकती है कांग्रेस का खेल 
उपचुनाव वाली ज्यादातर सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं. यहां दलित मतदाता काफी अहम और निर्णायक माना जाता है. बसपा प्रमुख मायावती ने इन सीटों पर चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान करके पूर्व सीएम कमलनाथ की बेचैनी को बढ़ा दी है. क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद बीएसपी ने उसे समर्थन दिया था. हालांकि पार्टी को 230 सीटों में से महज 2 ही सीटें हासिल हुई थी. रामबाई और संजीव कुशवाह ने जीत हासिल की थी. लेकिन दिसंबर 2019 में बसपा पथरिया से पार्टी की विधायक रामबाई को निलंबित कर चुकी है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करने पर मध्य प्रदेश में पार्टी की विधायक रमाबाई परिहार को पार्टी से निलंबित किया था. अब पार्टी का सूबे में केवल एक ही विधायक है. बावजूद इसके ग्वालियर-चंबल संभाग में बसपा की पकड़ अच्छी मानी जाती है. वो यहां के वोट बैंक को प्रभावित कर सकती हैं. 

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10 पर कर चुकी है जीत हासिल
इतिहास बताता है कि ग्वालियर-चंबल के 16 में से 10 सीटों पर कभी न कभी बीएसपी चुनाव में जीत हासिल कर चुकी है. दरअसल, 1993 में ग्वालियर-चंबल संभाग के मेहगांव और डबरा, 1998 में सुमावली, भांडेर और अशोकनगर, 2003 में करैरा, 2008 में जौरा, मुरैना और 2013 में दिमनी अंबाह सीट पर कब्जा रहा है. वहीं, 2018 में इस इलाके में बीएसपी का खाता नहीं खुल पाया था. 

ग्वालियर-चंबल की सीटों पर वोट प्रतिशत
2013 के बाद से बीएसपी का ग्राफ गिरने लगा है. 2013 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने 227 सीटों में से 4 सीटों पर जीत हासिल की थी. पार्टी को पूरे प्रदेश में 6.4 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं, ग्वालियर-चंबल में अभी जिन 16 सीटों पर उपचुनाव हैं, उनमें से 3 सीटों पर बीएसपी को 36-44 फीसदी वोट मिले थे. जबकि अन्य 9 सीटों पर 20 फीसदी के करीब वोट थे. 2018 में उसके प्रदर्शन में और गिरावट आई है. 36 से 44 फीसदी वोट शेयर वाली सीटों पर बीएसपी 20 फीसदी पर सिमट गई थी, इसका फायदा कांग्रेस को हुआ. 

ग्वालियर चंबल की ये हैं सीटें
कांग्रेस विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद ग्वालियर-चंबल में 16 सीट खाली हुई हैं. उसमें मुंगावली, अशोकनगर, बामोरी, पोहरी, करेरा, भांडेर, डबरा, जौरा, दिमनी, गोहद, ग्वालियर शहर, ग्वालियर पूर्व, मुरैना, अंबाह, मेहगांव और सुमावली है. बीएसपी के एक नेता ने कहा है कि हम इन सीटों पर पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेंगे. 

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