कैबिनेट मंत्री अकबर ने आदिवासी झाम सिंह के परिजनों से की मुलाकात, 1 लाख की आर्थिक मदद दी
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कैबिनेट मंत्री अकबर ने आदिवासी झाम सिंह के परिजनों से की मुलाकात, 1 लाख की आर्थिक मदद दी

  छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर गुरुवार को बालसमुंद गांव पहुंचे, जहां उन्होंने मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर हुए कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में मारे गए बेकसूर आदिवासी झाम सिंह ध्रुर्वे  के परिजनों से मुलाकात की.

फाइल फोटो

कवर्धा:  छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर गुरुवार को बालसमुंद गांव पहुंचे, जहां उन्होंने मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर हुए कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में मारे गए बेकसूर आदिवासी झाम सिंह ध्रुर्वे  के परिजनों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार के रेडक्रॉस फंड से पीड़ित परिवार को 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी. साथ ही न्याय के लिए हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया. 

आदिवासी झाम सिंह ध्रुर्वे  के परिजनों से मुलाकात के दौरान मंत्री अकबर ने कहा कि हत्या का मुकदमा दर्ज करने से ही पीड़ित परिवार को न्याय को नहीं मिला है, उन्हें सजा का इंतजार है. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए राज्यपाल अनुसुइया उईके से फोन पर बात की थी.वन मंत्री ने उनसे आदिवासी की मौत मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी. प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उईके से फोन पर चर्चा के दौरान वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया था कि इस मामले को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री व गृह मंत्री को दो अलग-अलग पत्र लिखे हैं. इसके बावजूद मध्य प्रदेश सरकार ने कोई विधि सम्मत कार्रवाई नहीं की है. 

छत्तीसगढ़ के वनमंत्री शिवराज सरकार को लिखा था लेटर
आपको बता दें कि कबीरधाम जिले के निवासी झामसिंह ध्रुर्वे की मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा गोली चलाने से हुई मौत के मामले में छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच की मांग थी. वन मंत्री ने कहा था कि मध्य प्रदेश पुलिस की गोली से मरने वाले झामसिंह ध्रुर्वे, कबीरधाम जिले के विकासखंड बोड़ला अंतर्गत ग्राम बालसमुंद के निवासी थे. वे आदिवासी वर्ग से ताल्लुक रखते थे. उनको पुलिस ने अकारण ही मार दिया. 

क्या है मामला?
मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश की सीमा में 6 सितंबर को दो आदिवासियों झामसिंह ध्रुर्वे और नेमसिंह ध्रुर्वे पर अकारण ही गोली चलाई गई. जिससे झामसिंह ध्रुर्वे की मौत हो गई और नेमसिंह ध्रुर्वे पर गोली का निशाना चूक गया था. अगले दिन झाम सिंह का शव जंगलों में मिला था. इस घटना को लेकर आक्रोशित परिजन और ग्रामीण झलमला थाना पहुंचे. जहां उन्होंने इस मामले को हत्या करार देते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. परिजनों का कहना था कि झामसिंह 6 सितंबर को अपने एक साथी के साथ बॉर्डर के पास नदी में मछली मारने गये थे, शाम को लौटते समय कुछ वर्दीधारी आवाज लगाकर रोकने लगे, तब झामसिंह व उसका साथी डर के कारण भागने लगे तो पीछे से गोली लगा चला दी गई. 

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