अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 22 नौजवान गिरफ्तार
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अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 22 नौजवान गिरफ्तार

आरोपियों के कब्जे से 30 से ज्यादा कम्प्यूटर, लैपटॉप और अन्य गैजेट बरामद किये गये हैं. 

(प्रतीकात्मक फोटो)

इंदौर: अमेरिकी नागरिकों के सामाजिक सुरक्षा नंबरों (एसएसएन) को खतरे में बताकर उन्हें ठगने वाले साइबर अपराध गिरोह के कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करते हुए इंदौर पुलिस ने आज यहां 22 युवाओं को धर दबोचा. पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) हरिनारायणाचारी मिश्रा ने संवाददाताओं को बताया कि लसूड़िया इलाके में संदिग्ध गतिविधि की सूचना पर गिरोह के सरगना वत्सल मेहता (25) और 21 अन्य युवाओं को पकड़ा गया. इनके कब्जे से 30 से ज्यादा कम्प्यूटर, लैपटॉप और अन्य गैजेट बरामद किये गये हैं. उन्होंने बताया कि मेहता मूलत: अहमदाबाद का रहने वाला है. वह पिछले दो महीने से इंदौर में कॉल सेंटर के नाम पर साइबर अपराध गिरोह चला रहा था. इस गिरोह के ज्यादातर सदस्य गुजरात के रहने वाले हैं और उनके पास इंजीनियरिंग तथा प्रबंधन की बड़ी डिग्रियां हैं. 

मिश्रा ने बताया, "गिरोह के लोग अमेरिका में रहने वाले लोगों, खासकर बुजुर्गों और तकनीक का कम ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों को विशेष सॉफ्टवेयर के जरिये फोन करते थे. वे खुद को अमेरिका के सामाजिक सुरक्षा विभाग के अधिकारी बताकर अमेरिकी लोगों को झांसा देते थे कि किसी गड़बड़ी या आपराधिक दुरुपयोग के चलते उनका एसएसएन ब्लॉक होने वाला है और इसे बरकरार रखने के लिये उन्हें फीस चुकानी होगी. अपराध के इस तरीके के बूते जाल में फंसे प्रत्येक व्यक्ति से 400 अमेरिकी डॉलर से लेकर 5,000 अमेरिकी डॉलर तक ठगे गये हैं." 

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डीआईजी ने बताया कि पुलिस को संदेह है कि इस गोरखधंधे के जरिये गिरोह ने करीब 1,500 अमेरिकी लोगों को चूना लगाया है और उनसे अलग-अलग कंपनियों के गिफ्ट कार्डों और ऑनलाइन भुगतान माध्यमों के जरिये लाखों डॉलर ठगे हैं. दलालों के माध्यम से इस रकम को पहले बिटकॉइन में परिवर्तित किया जाता था. बाद में इस रकम को भारतीय मुद्रा में बदलकर इसे हवाला के माध्यम से अहमदाबाद में प्राप्त किया जाता था. उन्होंने बताया कि गिरोह के पास करीब ढाई लाख अमेरिकी लोगों के एसएसएन, मोबाइल नम्बर और अन्य गोपनीय डेटा होने के सुराग मिले हैं. 

मिश्रा ने बताया कि पुलिस को जांच में पता चला है कि गिरोह द्वारा अमेरिकी लोगों को फोन लगाते वक्त कॉलर आईडी स्पूफिंग का सहारा लिया जाता था, जिससे अमेरिकियों को लगता था कि ये कॉल स्थानीय नम्बरों से ही किये जा रहे हैं. मुंबई में रहने वाली एक महिला की मदद से गिरोह अपने सदस्यों को अमेरिकी लहजे की अंग्रेजी बोलने का प्रशिक्षण भी दिलवाता था. 

उन्होंने बताया कि पुलिस को संदेह है कि साइबर अपराध गिरोह में भारत के अलावा अन्य देशों के बदमाश भी शामिल हैं. सम्बद्ध अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को मामले की सूचना दी जा रही है. विस्तृत जांच जारी है. 

(इनपुट-भाषा)

 

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