मध्य प्रदेश में दशमी पर बारिश की संभावना, रावण बनाने वालों की चिंता बढ़ी
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मध्य प्रदेश में दशमी पर बारिश की संभावना, रावण बनाने वालों की चिंता बढ़ी

पुतलों के ऊपर वाटरप्रूफ शीटें चिपकाई गई हैं. राज्य में सबसे बड़ा पुतला 105 फुट का है, जो ना सिर्फ वॉटरप्रूफ है बल्कि इससे डिजिटल आतिशबाजी भी होगी. कोलार हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष रविंद्र यति ने कहा कि दक्षिण भोपाल स्थित कोलार में इस उत्सव पर 20 लाख रुपये खर्च होंगे.

मध्य प्रदेश में दशमी पर बारिश की संभावना, रावण बनाने वालों की चिंता बढ़ी

भोपाल: राक्षस राज रावण को मंगलवार को यहां भगवान राम से युद्ध करने के लिए कवच के साथ-साथ रेनकोट की भी जरूरत पड़ेगी. इस साल मानसून की अवधि में विस्तार होने के कारण भोपाल में रावण के पुतले बनाने वाले ज्यादातर लोग पुतलों को बारिश से बचाने के लिए ओवर टाइम तक कर रहे हैं. उन्होंने पुतलों को प्लास्टिक की शीटों से ढक दिया है. पुतलों के ऊपर वाटरप्रूफ शीटें चिपकाई गई हैं. राज्य में सबसे बड़ा पुतला 105 फुट का है, जो ना सिर्फ वॉटरप्रूफ है बल्कि इससे डिजिटल आतिशबाजी भी होगी. कोलार हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष रविंद्र यति ने कहा कि दक्षिण भोपाल स्थित कोलार में इस उत्सव पर 20 लाख रुपये खर्च होंगे.

राज्य की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर में दशमी उत्सव बड़े स्तर पर मनाया जाता है, लेकिन इस साल लगातार हो रही बारिश से इसमें व्यवधान पड़ गया है. पिछले गुरुवार को तूफान और बारिश के कारण जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया और रावण के पुतले बनाने वाले परिवार इससे सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. अच्छी बिक्री की आस लगाए इन परिवारों की उम्मीदें बारिश के कारण धराशायी हो गई हैं. 

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इस सब के बावजूद ज्यादातर स्थानों पर कार्यक्रम आयोजकों ने सफल कार्यक्रम कराने का वादा किया है. भोपाल में प्रतिवर्ष औसतन 1,090 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस वर्ष 1,750 मिमी बारिश हो चुकी है और अभी भी जारी है. मौसम विभाग ने इस सप्ताह भी बारिश की संभावना व्यक्त की है. रावण के ज्यादातर पुतले बांस, जूट, कागज और कपड़ों के टुकड़ों से बनते हैं, जिनके इस साल भारी बारिश के बाद पूरी तरह सूखने की संभावना नहीं है. 

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कई बार ऐसे मामलों में आग लगाने पर आग से ज्यादा धुआं होने लगता है. और खासतौर पर कई मामलों में तो पुतलों में बारिश का पानी घुस जाने के कारण उनके अंदर भरे पटाखे भी गीले होने के कारण नहीं फूट पाते. बारिश के कारण शहर में अधिकांश दुर्गा पूजा पंडाल भी प्रभावित हुए, लेकिन इससे लोगों के जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं आई.

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