2013 के विधानसभा चुनाव में बिलासपुर में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था, जिसके बूते वह सत्ता तक पहुंच पाई थी. इस बार भी बीजेपी को यहां से ऐसी ही उम्मीद बनी हुई है, वहीं कांग्रेस और अजित जोगी की पार्टी इस इलाके में अपनी ताकत दिखाने की पूरी कोशिश कर चुकी है.
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बिलासपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. सभी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद हो चुका है. अब सभी को 11 दिसंबर को आने वाले चुनाव परिणाम का इंतजार है. चुनाव परिणाम आने से पहले हम आपका ध्यान छत्तीसगढ़ के बिलासपुर क्षेत्र की राजनीति की ओर ओर आपका ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं. बिलासपुर क्षेत्र में त्रिशंकु मुकाबला होने के आसार हैं. उम्मीद की जा रही है कि चुनाव परिणाम में भी इसका असर दिख सकता है. बिलासपुर का इलाका प्रदेश की राजनीति के लिहाज से अहम माना जाता है. दरअसल, 2013 के विधानसभा चुनाव में बिलासपुर में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था, जिसके बूते वह सत्ता तक पहुंच पाई थी. इस बार भी बीजेपी को यहां से ऐसी ही उम्मीद बनी हुई है, वहीं कांग्रेस और अजित जोगी की पार्टी इस इलाके में अपनी ताकत दिखाने की पूरी कोशिश कर चुकी है.
रायपुर के बाद बिलासपुर छत्तीसगढ़ का दूसर बड़ा शहर है. इस राज्य का हाईकोर्ट इसी शहर में है. हाईकोर्ट होने के कारण इसे न्यायधानी कहा जाता है. बिलासपुर क्षेत्र में 24 विधानसभा सीटें हैं. पिछले चुनाव में यहां केवली कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला था, वहीं इस बार तीसरी ताकत अजित जोगी और की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का गठबंधन पेश कर रहा है. पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी कांग्रेस में थे, जबकि इस बार वह अपनी नई पार्टी के साथ चुनाव मैदान में हैं. अजित जोगी को इस बार बीएसपी का भी साथ मिल रहा है.
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बिलासपुर क्षेत्र में पांच जिले बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा और मुंगेली हैं. साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से भारतीय जनता को पार्टी को 12 सीटों पर, कांग्रेस को 11 सीटों पर और बीएसपी को एक सीट पर जीत मिली थी. बीएसपी इस क्षेत्र में दो सीटों पर दूसरे नंबर पर तथा सात सीटों पर तीसरे नंबर पर रही है. बिलासपुर संभाग अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य वाला क्षेत्र है जिसमें से पांच अनुसूचित जनजाति के लिए तथा चार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं.
अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य होने के कारण बसपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ गठबंधन को इस क्षेत्र में कुछ सीटों पर जीत मिलने की उम्मीद है. इस बार के चुनाव में इस क्षेत्र में बड़ी जीत हासिल करने के लिए सभी दलों ने पूरी ताकत झोंकी है. बिलासपुर क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सभाएं की हैं.
बिलासपुर क्षेत्र की सीटों में से बिलासपुर, कोटा, मारवाही, खरसिया, पाली तानाखार, अकलतरा, जैजैपुर, बिल्हा और मुंगेली ऐसी सीट हैं जहां दिग्गज नेताओं का भविष्य दांव पर लगा है तथा इन सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. बिलासपुर विधानसभा सीट से भाजपा की ओर से मंत्री अमर अग्रवाल अग्रवाल चुनाव मैदान में हैं. वहीं, कोटा से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की ओर से, मारवाही से अजीत जोगी, खरसिया से रायपुर के कलेक्टर रहे ओपी चौधरी, पाली तानाखार से कांग्रेस से भाजपा में प्रवेश करने वाले वरिष्ठ नेता राम दयाल उइके, अकलतरा से बसपा से अजीत जोगी की बहू एवं अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी, जैजैपुर से बसपा के विधायक केशव चंद्रा, बिल्हा से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक और मुंगेली से मंत्री पुन्नू लाल मोहिले चुनाव मैदान में हैं.
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बिलासपुर में परिवारवाद का बोलबाला
बिलासपुर की राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला है. रमन सिंह सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल बिलासपुर से चार बार विधायकी जीत चुके हैं. अब देखना यह है कि कांग्रेस प्रत्याशी शैलेष पांडेय इस चुनावी रण में अग्रवाल का किला फतह कर उनके विजयी रथ को रोक पायेंगे या नहीं. इससे पहले इस इलाके से उनके पिता लखीराम अग्रवाल चुनाव जीतते रहे हैं. अजित जोगी की बहू ऋचा अकलतरा से चुनाव मैदान में हैं. बिलासपुर चूंकि जोगी का गृह जिला है और क्षेत्र में उनकी अच्छी खासी पकड़ भी है. खरसिया से लगातार विधायक रहे प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल की शहादत के बाद बेटे उमेश पटेल को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा दिलीप सिंह जूदेव का परिवार भी बिलासपुर इलाके से विधानसभा पहुंचता रहा है.
शिक्षित हैं बिलासपुर की जनता
बिलासपुर जिले में 11 नगर पंचायत हैं, वहीं 07 ब्लॉक हैं. यहां 645 ग्राम पंचायत और 08 तहसील हैं. गौर करने वाली बात यह है कि इस जिले में साक्षरता का प्रतिशत औसतन ठीक है. यहां 72 फीसदी से ज्यादा साक्षरता है.