30 लाख साल पुराना डायनासोर युगीन विलुप्त फर्न प्रजाति का 2000 वर्ष पुराना पेड़ हुआ नष्ट
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30 लाख साल पुराना डायनासोर युगीन विलुप्त फर्न प्रजाति का 2000 वर्ष पुराना पेड़ हुआ नष्ट

जैव विविधता से भरे बस्तर के वनांचल में प्रकृति के अनेको रहस्य छिपे हुए हैं. पूरे बस्तर में अनेक विलुप्त प्रजाति के पेड़ -पौधे पाए जाते हैं. इनमें से कई पेड़ ऐसे हैं जिनकी उम्र 1000 से 2000 वर्ष है.

NMDC या वन विभाग की लापरवाही फर्न का पेड़ नष्ट होने के आरोप

बप्पी राय/दंतेवाड़ा: जैव विविधता से भरे बस्तर के वनांचल में प्रकृति के अनेको रहस्य छिपे हुए हैं. पूरे बस्तर में अनेक विलुप्त प्रजाति के पेड़ -पौधे पाए जाते हैं. इनमें से कई पेड़ ऐसे हैं जिनकी उम्र 1000 से 2000 वर्ष है. इसी शोध के दौरान जैव विविधता बोर्ड को बैलाडीला के पहाड़ी में किरंदुल अकाशनगर के समीप गली नाला में 30 लाख वर्ष पुराने प्रजाति का ट्री फर्न मिला. यह फर्न का पौधा आज से 30 लाख वर्ष पूर्व जुरासिक काल में डायनासोरों का चारा हुआ करता था, जो कि आज विलुप्त प्रजाति के पौधे है. यह पौधा नमी और दलदली क्षेत्र में पाया जाता है, बैलाडीला का यह क्षेत्र फर्न पौधे के लिए अनुकूलित क्षेत्र माना जाता है.

बैलाडीला क्षेत्र में फर्न पौधे की दो प्रजातियां अलसोफिला स्पिनुलोसा और अलसोफिला जिएन्ट पाए जाते हैं. जानकारों का दावा है कि फर्न के पौधे मध्यप्रदेश के पंचमढ़ी के बाद केवल बैलाडीला के पहाड़ों में देखा गया है. यह पौधा एक वर्ष में ढाई सेंटीमीटर तक बढ़ता है, और ऊंचाई के आधार पर पेड़ की उम्र की गणना की जाती है. यही कारण है कि यह फर्न का पौधा बड़े मुश्किल से पेड़ का आकार ले पाता है. 

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दक्षिण बस्तर-दंतेवाड़ा जिले का सौभाग्य है कि बैलाडीला के अकाशनगर क्षेत्र में फर्न का एक पौधा वृक्ष का आकार ले लिया था. जानकारों के अनुसार लगभग 10 फिट के इस पौधे की आयु दो हजार वर्ष थी. इस जगह में 459 नग फर्न की पौधे की गणना भी की गई थी. राष्ट्रीय औषधि पादप मंडल द्वारा इन विलुप्त प्रजाति के पौधों और पेड़ के संरक्षण के लिए इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया था. वावजूद इसके NMDC प्रबंधन और वन विभाग इसे संरक्षित नहीं कर पाए. बीते 7 से 8 दिन पहले यहां मौजूद लगभग 2 हजार वर्ष पुरानी फर्न का पेड़ टूट कर नष्ट हो गया. स्थानीय आदिवासी युवा और जनप्रतिनिधि आरोप लगा रहे हैं कि NMDC या वन विभाग की लापरवाही से यह फर्न का पेड़ नष्ट हुआ है.

इस संबंध में वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष नाले में पानी के तेज बहाव के कारण कुछ दिन पहले यह विलुप्त प्रजाति का पौधा टूट गया था और अवशेष के बचेली रेंज ऑफिस लाया गया है. लापरवाही वाली कोई बात नहीं है.

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