1000 जवान, 10 घंटे मुठभेड़, 13 का खात्मा, क्या है नक्सलियों का PLGA कैडर, जिस पर हुई चोट
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1000 जवान, 10 घंटे मुठभेड़, 13 का खात्मा, क्या है नक्सलियों का PLGA कैडर, जिस पर हुई चोट

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सलियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ में 13 नक्सली मारे गए हैं, जिनमें से ज्यादातर पीएलजीए कैडर के थे. जानिए आखिर क्या है यह पीएलजीए कैडर. 

क्या है नक्सलियों का PLGA कैडर

Chhattisgarh Naxalites Encounter: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 2 अप्रैल को हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में कुल 13 नक्सली मारे गए थे, जिनमें 3 महिलाएं भी शामिल थी. खास बात यह है इन नक्सलियों में सबसे ज्यादा सदस्य पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी संगठन (PLGA) कैडर के थे. जिन पर लाखों रुपए का इनाम भी था. दो अलग-अलग जगहों पर करीब दस घंटे तक चली मुठभेड़ में पुलिस को यह सफलता मिली थी, ऐसे में यह जानना भी जरूरी हो जाता है कि आखिर नक्सलियों का यह PLGA कैडर है क्या जिस पर सबसे बड़ी चोट हुई है. 

दरअसल, छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के कोरचोली और लेंड्रा में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा संभाला था. जानकारी के मुताबिक एक हज़ार से ज्यादा की तादाद में सुरक्षाबलों के संयुक्त दस्ते ने तड़के चार बजे नक्सलियों को टारगेट किया था, जिसमें 13 बड़े नक्सलियों का खात्मा हुआ है. जिसमें PLGA कैडर के बड़े कमांडर भी शामिल थे. जिनकी लंबे समय से सुरक्षाबलों को तलाश थी. ऐसे में PLGA संगठन के बारे में जानना जरूरी है. 

क्या है नक्सलियों का PLGA कैडर

दरअसल, PLGA कैडर का पूरा नाम पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी है, जिसकी स्थापना साल 2000 में नक्सलियों ने की थी. जिसे नक्सली-माओवादियों की सशस्त्र शाखा भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस संगठन में भर्ती होने वाले नक्सली गुरिल्ला युद्ध में माहिर और अत्याधुनिक हथियारों से लैस रहते हैं, जिनके पास पूरे इलाके की जरूरी जानकारियां भी होती हैं. यह बड़ी घटनाओं को अंजाम देने में माहिर माने जाते हैं. इसके अलावा यह संगठन युवाओं को नक्सलवाद के लिए प्रेरित भी करवाता है. खास बात यह है कि इस संगठन में अधिकतर युवा वर्ग के नक्सली होते हैं. माना जाता है कि साल 2013 में इस संगठन में नक्सलियों की संख्या 6,500 से 9,500 के बीच थी. फिलहाल अब इसकी संख्या कितनी है इसकी सटीक जानकारी नहीं है.

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इन जिलों में एक्टिव माना जाता है यह संगठन 

माना जाता है कि यह संगठन छत्तीसगढ़ के बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा जैसे घोर नक्सल प्रभावित जिलों में एक्टिव रहता है. पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी यानि PLGA कैडर के नक्सली हर बात का पूरा हिसाब रखते हैं, जिसके लिए हर हफ्ते एक बैठक भी करते हैं. इसके अलावा साल में एक बड़ी बैठक भी होती है, जिसमें कमांडर अपने पूरे साल का लेखा-जोखा भी संगठन सामने पेश करते हैं. इस बैठक के बाद वह आगे के साल की प्लानिंग बनाते हैं. जिसमें बड़ी संख्या में नक्सली शामिल होते हैं. एक तरह से देखा जाए तो यह नक्सलियों का बड़ा संगठन माना जाता है, जो युद्ध के साथ-साथ रणनीति भी बनाता है, ऐसे में अब तक जितने भी बड़े नक्सली हमले हुए हैं, उनमें PLGA का सीधा कनेक्शन रहता है. 

सुरक्षाबलों के निशाने पर है संगठन 

PLGA संगठन युद्ध की रणनीति अपनाता है, ऐसे में यह संगठन सुरक्षाबलों के निशाने पर रहता है, पिछले कुछ समय में सुरक्षाबलों को PLGA कैडर के खिलाफ बड़ी कामयाबियां मिली हैं. जिससे यह संगठन अब धीरे-धीरे कुछ जिलों तक ही सीमित हो गया है. हाल ही में बीजापुर में हुई मुठभेड़ में भी  PLGA कैडर से जुड़े 11 से नक्सलियों का एनकाउंटर हुआ है. जो पहले भी कई बड़ी मुठभेड़ों में शामिल रह चुके हैं और नुकसान पहुंचाते रहे हैं. ऐसे में यह भी पुलिस के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है. 

मुठभेड़ में मारे गए PLGA कैडर के 11 नक्सली 

  • सुखराम हेमला, PPCM-PLGA
  • हूँगा परसी, PLGA
  • लक्खू कोरसा, PLGA
  • DVCM सीतक्का ( जितरू , डीवीसी की पत्नी ) PLGA
  • दुला कुहराम , PLGA
  • सोनू अवलम, PLGA
  • सुदरू हेमला PLGA
  • चैतु पोटाम PLGA
  • लच्छू कड़ती PLGA
  • लक्ष्मी ताती PLGA
  • कमली कुंजाम PLGA

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एक सप्ताह के अंदर 20 नक्सली ढेर 

छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने एक तरह से नक्सलियों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है, दरअसल, बस्तर में नक्सलियों का TCOC महीना चल रहा है, इस दौरान वह पूरी तरह से एक्टिव रहते हैं. दरअसल, फरवरी से जून के बीच नक्सली संगठन टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन यानि (TCOC) अभियान को चलाते हैं, जिसका उद्देश्य यह रहता है कि इन महीनों के अंदर पुलिस और सुरक्षाबलों के खिलाफ आक्रमक रणनीति अपनाई जाए. लेकिन नक्सलियों के इस प्लान के खिलाफ सुरक्षाबलों ने भी काउंटर का प्लान बनाया है. यानि सुरक्षाबलों का मानना है कि नक्सलियों के खिलाफ इसी पीक टाइम में अटैकिंग रणनीति अपनाई जाए, जिसका असर दिख रहा है. क्योंकि पिछले एक हफ्ते के अंदर ही सुरक्षाबलों ने 20 नक्सलियों को ढेर किया है. जिसमें 19 नक्सली बीजापुर में और एक नक्सली सुकमा जिले में ढेर किया गया है. 

नक्सलियों के घर तक पहुंचा सुरक्षाबल 

छत्तीसगढ़ में लाल आतंक के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान जारी है. जिसमें अब सफलता मिलती भी दिख रही है. बीजापुर एनकाउंटर इसका उदाहरण है, क्योंकि नक्सलियों की मजबूत कोह में घुसकर जवानों ने बड़ी सफलता हासिल की है. इसके अलावा सुरक्षाबलों की सफलता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जिन गांवों में कभी सुरक्षा बल के जवान एंट्री भी नहीं कर पाते थे, वहां अब कैंप स्थापित हो चुके हैं, यहां तक की नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले पूवर्ती गांव में भी पुलिस का कैंप लग चुका है, यह नक्सलियों के बड़े कमांडरों में से एक हिडमा का गांव हैं, जहां कुछ दिनों पहले सुकमा के एसपी ने हिडमा की मां से भी मुलाकात की थी. 

सरकार बातचीत के लिए तैयार 

छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार लौटने के बाद प्रदेश के डिप्टी सीएम और गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे विजय शर्मा ने नक्सलियों से बातचीत की बात भी कही है. उनका कहना है कि सरकार नक्सलियों से बातचीत के लिए तैयार है, क्योंकि हम चाहते हैं कि अब छत्तीसगढ़ के बस्तर में चीजें सामान्य हो और बस्तर भी विकास की दौड़ में शामिल हो. नक्सलियों को समझना होगा कि बस्तर के गांवों तक विकास पहुंचना जरूरी है, जिसके लिए बस्तर के लोग भी तैयार हैं. 

नक्सलियों की पकड़ हो रही कमजोर 

माना जा रहा है कि जिस तरह से सुरक्षाबलों ने पिछले कुछ सालों में योजनाबद्ध तरीके से अपना अभियान चलाया है, उससे छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की पकड़ सीमित हो रही है और अब वह बस्तर संभाग के कुछ जिलों तक ही सीमित हो गए हैं. क्योंकि एक तरफ सरकार और सुरक्षाबल नक्सलियों को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए लोनवर्राटू जैसे अभियान चला रही हैं तो दूसरी तरफ हार्डकोर नक्सलियों के खिलाफ कड़े एक्शन भी लिए जा रहे हैं. लोनवर्राटू अभियान के तहत अब तक कई नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं. जबकि सुरक्षाबलों के ऑपरेशन समाधान के जरिए नक्सलियों पर कड़ी चोट भी की जा रही है. बताया जा रहा है कि अब तक रेड जोन वाले क्षेत्रों में पुलिस लाल आतंक को हराने में सफलता हासिल की है, ऐसे में माना जा सकता है कि नक्सलियों की पकड़ पिछले कुछ सालों में बहुत कमजोर हुई है. यानि इससे माना जा सकता है कि फिलहाल छत्तीसगढ़ नक्सलियों को लेकर एक अहम मोड़ पर खड़ा है. 

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