Chhattisgarh News: आवारा पशुओं को लेकर बिलासपुर कोर्ट में सुनवाई! आयुक्त ने शपथ पत्र में कही ये बात
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Chhattisgarh News: आवारा पशुओं को लेकर बिलासपुर कोर्ट में सुनवाई! आयुक्त ने शपथ पत्र में कही ये बात

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर कोर्ट ( Bilaspur High Court) में आवारा पशुओं को लेकर प्रस्तुत जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान नगर निगम दुर्ग और बिलासपुर के आयुक्त ने लिखित शपथ पत्र प्रस्तुत किया और ये बातें कही. 

Chhattisgarh News: आवारा पशुओं को लेकर बिलासपुर कोर्ट में सुनवाई! आयुक्त ने शपथ पत्र में कही ये बात

शैलेन्द्र सिंह ठाकुर/ बिलासपुर: देश भर के किसानों के साथ- साथ आम लोगों को आवारा पशुओं से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अक्सर देखा जाता है कि आवारा पशु फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. आवारा पशुओं को लेकर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) के बिलासपुर कोर्ट में प्रस्तुत जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान नगर निगम दुर्ग और बिलासपुर के आयुक्त ने लिखित शपथ पत्र प्रस्तुत किया. इसमें उन्होंने क्या लिखा है जानते हैं. 

हुई सुनवाई
आवार पशुओं के मामले में प्रस्तुत जनहित याचिका पर डिवीजन बेंच में सुनवाई की गई. इस दौरान नगर निगम दुर्ग और बिलासपुर के आयुक्त ने लिखित शपथ पत्र प्रस्तुत किया. शपथ पत्र में आयुक्त के द्वारा कहा गया है कि आवारा जानवरों को निगम सीमा से बाहर भेजने का इंतजाम कर लिया गया है. इसके अलावा आवारा पशुओं को लेकर रायपुर निगम से भी शपथ पत्र मांगा गया है. बता दें कि मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी. 

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दायर की गई थी याचिका 
आवारा पशुओं को लेकर दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया था कि मुख्य मार्गों और शहर की आम सड़कों पर पशुओं को खुला छोड़ दिया जाता है. इस वजह से कई बार दुर्घटना हो जाती है. इसके अलावा नेशनल हाइवे पर सबसे खतरनाक स्थिति होती है, जहां अन्धकार में सड़कों पर बैठे जानवरों से बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, इसमें लोग मारे भी गए हैं. 

प्रकरण में पूर्व में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सारे नगर निगमों के अफसरों को तलब किया था. पूर्व में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने आवारा मवेशियों की संख्या पूछते हुए यह निर्देश भी दिया था कि शासन मवेशियों को हटाने के लिए चरवाहों का इंतजाम करें और जिम्मेदार मालिकों पर पेनाल्टी लगाए. बता दें कि इससे पहले भी आवारा पशुओं को लेकर कोर्ट ने नगर निगम से जवाब मांगा था. 

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