छत्तीसगढ़ की बदहाल शिक्षा व्यवस्था, भविष्य के लिए ये कैसी जंग, कब सुध लेंगे जिम्मेदार
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छत्तीसगढ़ की बदहाल शिक्षा व्यवस्था, भविष्य के लिए ये कैसी जंग, कब सुध लेंगे जिम्मेदार

Chhattisagarh News: हमारे देश के भविष्य कहे जाने वाले हमारे छोटे-छोटे बच्चों को क्या हम शिक्षा की बुनियादी सुविधाओं से महरूम रख रहे हैं? ये सवाल इसलिए क्योंकि जो तस्वीरें सामने आ रहीं हैं, वो यही बयां कर रहीं हैं. आलम ये है कि कहीं स्कूलों से मास्टर जी नदारद हैं तो कहीं एक ही कक्षा में 8-8 कक्षाएं लगाई जा रहीं हैं. सवाल यही कि आखिर हमारे देश के भविष्य ये बच्चे इन हालातों में कैसे शिक्षा ग्रहण करेंगे?

छत्तीसगढ़ की बदहाल शिक्षा व्यवस्था, भविष्य के लिए ये कैसी जंग, कब सुध लेंगे जिम्मेदार

Chhattisagarh News: छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों को लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपाने से बिल्कुल गुरेज नहीं करती. वहीं, सरकारी स्कूल जहां शिक्षकों के होने का दावा किया जाता है और ये वही सरकारी स्कूल है जहां बच्चों के बेहतर भविष्य को गढ़ने का दावा किया जाता है, लेकिन इन सबके विपरीत धरातल से वाकई स्थिति अलग हैं. जोकि सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहीं हैं...

आज हम आपको छत्तीसगढ़ के कुछ ऐसे ही स्कूलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में जानकर जहन में ये सवाल उठेगा कि आखिर यहां बच्चों का भविष्य कैसा होगा. क्योंकि जो व्यवस्थाएं स्कूलों में देखने को मिली. वो वाकई जिम्मेदारों पर और शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहीं हैं.

स्कूल में जड़ दिया ताला
बालोद के गांव पीपरछेड़ी में हाल ही में छात्र और अभिभावक शिक्षा व्यवस्था से इस कदर नाराज नजर हुए कि उन्होंने स्कूल पर ही ताला जड़ दिया. स्कूल के सामने बैठकर धरना प्रदर्शन किया. ये सब इसलिए क्योंकि छात्र लंबे समय से शिक्षक की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही. इधर, अबूझमाड़ के मोहंदी में मिडिल स्कूल का संचालन टीन शेड के नीचे किया जा रहा है. जहां पहली से आठवीं तक की कक्षा का संचालन किया जा रहा है. छात्रों का साफ कहना है कि एक साथ इतनी कक्षाओं के संचालन के कारण उन्हें कुछ भी समझ नहीं आता.

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महीने में एक दिन स्कूल आते हैं टीचर
नारायणपुर के मोहंदी में संचालित एक स्कूल में शिक्षकों की कमी है. छात्रों का भविष्य खतरे में है. यहां मास्टर जी महीने में केवल एक ही दिन स्कूल आते हैं और उसके बाद स्कूल पूरे महीने बंद रहता है ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां बच्चे किस तरह शिक्षित हो रहे होंगे. ऐसा ही कुछ हाल नारायणपुर में भी है, जहां सड़क बदहाल होने के कारण बच्चे स्कूल तक जाने से कतराते हैं. मजाल है कि प्रशासन इनकी ओर कोई ध्यान दे.

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बच्चे कर रहे स्कूल खोलने की मांग
जगदलपुर में पहले नक्सलियों की ओर से खुद का स्कूल चलाया जा रहा था. सुरक्षाबलों के यहां पहुंचने पर नक्सली यहां से भाग निकले. अब इस स्कूल को स्थानीय बच्चों के लिए दोबारा संचालन करने की मांग की जा रही है लेकिन फिलहाल इस ओर किसी का कोई ध्यान नहीं. बलौदाबाजार में गांव अर्जुनी में मौजूद प्री-मैट्रिक छात्रावास से कक्षा 9वीं की छात्र लापता हो गई. परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि मामले की जानकारी छात्रावास की ओर से जानबूझकर देरी से दी गई. बलरामपुर में आत्मानंद स्कूल में छात्र को बेरहमी से पिटने का मामला सामने आया.  8वीं के छात्र को शिक्षक ने डंडे से बेरहमी से पीटा.  

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