Herbal Gulal: होली में स्किन रोगों से बचाएगा ये हर्बल गुलाल, सब्जी और फूलों के रस से हो रहा तैयार
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Herbal Gulal: होली में स्किन रोगों से बचाएगा ये हर्बल गुलाल, सब्जी और फूलों के रस से हो रहा तैयार

Holi In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के अलग-अलग स्वयं सहायता की महिला समूह पालक, लाल साग, हल्दी और फूलों से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. यह गुलाल बिना किसी केमिकल का है, जिससे हमारी त्वचा को नुकसान नहीं होगा.

Herbal Gulal: होली में स्किन रोगों से बचाएगा ये हर्बल गुलाल, सब्जी और फूलों के रस से हो रहा तैयार

हितेश शर्मा/दुर्गः रंगों के त्यौहार होली (holi) की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. इस त्योहार की रौनक अलग ही होती है. रंग-बिरंगे चेहरे खुशी से इठलाते नजर आते हैं. कई बार केमिकल युक्त रंग-गुलाल (Chemical-rich color-gulal) के कारण त्यौहार का मजा किरकिरा हो जाता है. लोगों को इससे एलर्जी (Allergies) भी हो जाती है. लेकिन अब ऐसे रंग या गुलाल से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि दुर्ग जिले के स्वयं सहायता समूह हर्बल गुलाल (herbal gulal) बना रही है. ये हर्बल गुलाल भाजी फूल सब्जियों से बनाए जा रहे है. जिससे स्किन को नुकसान नहीं होगा.

हिंदुओं के विशेष पर्वो में से एक पर्व होली जिसका अपना खास महत्व है. हर क्षेत्र में होली का पर्व अलग अलग रीति रिवाजों से मनाया जाता है. होली के पर्व का प्रतीक रंग गुलाल है. जिसे लोग एक दूसरे को लगाते हैं. होली के ठीक पहले रंग और गुलाल की बिक्री बढ़ जाती है. सभी एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं. लेकिन इस बार होली में पालक, मेथी, लाल भाजी, चुकुंदर, एलोविरा, गेंदे के फूल,गुलाब के फूल से गुलाल और रंग बनाए जा रहे हैं, जो काफी पसंद किए जा रहे है.

जानिए कैसे बनता है हर्बल गुलाल
दुर्ग जिले के अलग-अलग स्वयं सहायता की महिला समूह हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. हर्बल गुलाल बनाने के लिए सबसे पहले अरारोट या मक्का के पाउडर में चुकंदर, पालक भाजी, पलाश, हल्दी इत्यादि का इतेमाल किया जाता है. जिसके बाद रंग-बिरंगे हर्बल गुलाल बनाया जाता है. यदि जिला रंग बनाना हो तो इसमें एलोवेरा जेल गुलाब जल जैसे कई चीजों का उपयोग किया जाता है जो की पूरी तरह से आयुर्वेदिक होने के साथ-साथ हर्बल भी है जिससे शरीर को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचता इसमें किसी प्रकार का केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता.

हर्बल गुलाल की भारी डिमांड
स्व-सहायता समूह की सदस्य निधि चंद्राकर बताती हैं कि हर्बल गुलाल बनाने वाली महिलाएं पूरी तरह प्रशिक्षित हैं. यह हर्बल गुलाल लोगों के स्किन के लिए फायदेमंद है और बाजारों में मिलने वाले गुलाल से काफी अच्छा है. श्वेता तिवारी ने बताया कि इस साल हर्बल गुलाल की डिमांड बहुत अधिक है. लेकिन समय के अभाव के कारण टारगेट पूरा नहीं कर पा रहे है. आगामी समय में ज्यादा मात्रा में हर्बल गुलाल तैयार करेंगे. ताकि जिले के साथ प्रदेश स्तर पर भी हर्बल गुलाल उपलब्ध किया जा सके. वहीं उन्होंने बताया कि महिलाएं घर के काम करने के बाद हर्बल गुलाल बनाने में जुट जाती हैं. इस काम से हमे रोजगार भी मिल रहा है. जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. सरिता केलकर ने बताया कि प्राकृतिक चीजों से ही हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. इस गुलाल बनाने के लिए चुकंदर, गुलाब के रस का प्रयोग किया गया. साथ ही इसमें गेंदे का फूल का भी इस्तेमाल किया, महिलाओं को गुलाल का आर्डर 50 हजार रुपए का मिल चुका है. 15 दिनों में समूह की महिलाओं ने कड़ी मेहनत करके हर्बल गुलाल तैयार किया है. हर्बल गुलाल की अन्य जिलों में भी भारी डिमांड है. 

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