बेमेतरा में मानसून का संदेश लेकर पहुंचे साइबेरियन पक्षियों ने अपना डेरा जमा लिया है.
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बेमेतरा: परिंदे किसी सरहद के मोहताज नहीं होते, उन्हें तो बस उड़ान भरनी होती है. ये आजाद पंछी कहीं भी किसी भी मुल्क में अपना आशियाना बना लेते हैं. इन दिनों मानसून आते ही छत्तीसगढ़ में दूसरे देशों से विदेशी पक्षियों का आना शुरू हो गया है. छत्तीसगढ़ में बेमेतरा जिले के नवागढ ब्लॉक में कटई एक ऐसा गांव है. जहां साइबेरियन पक्षियों का आना हर साल होता है. पक्षी कहां से आते है और कहां जाते है, गांव वालों को भी नहीं पता, लेकिन गांव वालों का मानना है कि मानसून शुरू होने से 15 दिन पहले यह पक्षी गांव के पेड़ों में आकर अपना बसेरा बना लेते है.
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बता दें कि गांव वालों को मानना है कि इनके आने से हमेशा मानसून अच्छी होती है और गांव में तरह किसी तरह हानि नहीं होती है. ये पक्षी हर साल जून के महीने में इस क्षेत्र के कटई गांव में पहुंच जाते है. चार महीने यहां रहने के बाद यहां से चले जाते हैं. गांव वालों ने बताया कि ये पक्षी मानसून के आगमन के 10-15 दिन पहले आते है, जो मानसून के आगमन के सूचक है.
सात समंदर पार से आते हैं मेहमान
सात समंदर पार कर आने वाले आकाशीय मेहमानों ने बेमेतरा में डेरा डाल दिया है. लगभग एक महीने की लंबी यात्रा कर यहां पहुंचे साइबेरियन पक्षियों के चलते तालाब और हाफ नदी के तटों का नजारा बदल गया है. एक ओर जहां खुशनुमा मौसम के कारण गांव में रहने वाले लोगों में खुशी का माहौल है. वहीं विदेशी मेहमानों की मौजूदगी गांव की खुबसूरती पर चार चांद लगा रही है.
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अपना अंडा छोड़ गए तो अकाल तय!
वहीं ये पक्षी यदि बीच में ही अपने अंडा या बच्चे छोड़ के चले गए तो अकाल या गांव में किसी भी प्रकार की अनहोनी तय मानी जाती है. हालांकि गांव में करीब 50 वर्षों से लगातार ये पक्षी आ रहे हैं. जिसे ग्रामीण भगवान की तरह मानते है और कोई हानि नहीं पहुंचाते.