ये है खिलाड़ियों का गांव! जहां से निकले हैं कई खिलाड़ी, एक इंसान ने बदली तस्वीर
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ये है खिलाड़ियों का गांव! जहां से निकले हैं कई खिलाड़ी, एक इंसान ने बदली तस्वीर

 इस गांव के बच्चों को शासन-प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती है. सभी बच्चे अपने मेहनत के दम पर मुकाम हासिल कर रहे हैं.

ये है खिलाड़ियों का गांव! जहां से निकले हैं कई खिलाड़ी, एक इंसान ने बदली तस्वीर

कैलाश जायसवाल/बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले का एक गांव ऐसा है, जिसे खिलाड़ियों का गांव कहें तो गलत नहीं होगा. दरअसल इस गांव में करीब 150 बच्चे हैं और इनमें से 40 बच्चे वॉलीबॉल के खिलाड़ी हैं. कई तो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा की चमक बिखेर चुके हैं. यह सब बच्चों और उनके ट्रेनर राजेंद्र वर्मा की मेहनत का कमाल है. आज इस गांव के बच्चे खेल की बदौलत ही विभिन्न सरकारी विभागों में चयनित हो चुके हैं.  

बता दें कि ये गांव है बलौदाबाजार के तिल्दा ब्लॉक का खमरिया गांव. यह गांव यहां के होनहार बच्चों की वजह से प्रसिद्ध हो गया है. इस गांव में वॉलीबॉल काफी खेला जाता है और गांव के कुल 150 बच्चों में से 40 वॉलीबॉल के ही खिलाड़ी हैं. ये बच्चे वॉलीबॉल में ना सिर्फ रुचि रखते हैं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी खेलने की इच्छा रखते हैं. खास बात ये है कि इस गांव के बच्चों को शासन-प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती है. सभी बच्चे अपने मेहनत के दम पर मुकाम हासिल कर रहे हैं.

गांव के बच्चों को वॉलीबॉल से जोड़ने और उन्हें शीर्ष स्तर पर खेलने के लिए प्रोत्साहित करने का श्रेय इनके ट्रेनर, कोच राजेंद्र वर्मा को मिलना चाहिए. राजेंद्र वर्मा ही बच्चों को इस खेल से जुड़ी तमाम जानकारी देते हैं. साथ ही बच्चों को बेहतर प्रदर्शन की ट्रेनिंग भी देते हैं. यही वजह है कि गांव के कई युवा राष्ट्रीय स्तर तक खेल चुके हैं. गांव के लोग इन बच्चों को पूरा सहयोग करते हैं. यही वजह है कि खेल के लिए कोई ग्राउंड या सरकारी मदद के बिना गांव के बच्चे लगातार आगे बढ़ रहे हैं. 

इस गांव के कई युवाओं की खेल की बदौलत सरकारी नौकरियां लग चुकी हैं. जिससे गांव के अन्य बच्चे और युवा भी प्रेरित होते हैं. इस गांव के कई युवा विभिन्न शासकीय विभागों जैसे रेलवे विभाग, सीआरपीएफ, जिला पुलिस आदि में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं कोच राजेंद्र वर्मा का कहना है कि खिलाड़ियों को आर्थिक सहयोग की जरूरत है. उन्होंने शासन से खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता देने की अपील की और कहा कि अगर शासन से मदद मिलती है तो इस गांव से हर साल राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकल सकते हैं. 

उल्लेखनीय है कि साल 2008 से 2020 तक गांव के 27 बच्चों ने स्टेट लेवल पर प्रतिनिधित्व किया है और वहां अच्छा प्रदर्शन किया है. 

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