विजय दिवस के मौके पर CM कमलनाथ ने कहा, ''भारत न पहले कमजोर था और न आज कमजोर है''
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विजय दिवस के मौके पर CM कमलनाथ ने कहा, ''भारत न पहले कमजोर था और न आज कमजोर है''

CM कमलनाथ ने वर्ष 1971 के युद्ध के सैन्य अधिकारियों और जवानों को प्रतीक चिन्ह और शाल प्रदान कर सम्मानित किया. साथ ही शहीद सैनिकों के परिजनों का भी सम्मान किया.

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल के शौर्य स्मारक पर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल में आज 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शामिल हुए सैनिकों और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को याद करते हुए विजय दिवस मनाया गया. इस कार्यक्रम में सीएम कमलनाथ समेत मंत्री गोविन्द सिंह, मंत्री आरिफ अकील, जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा, मुख्य सचिव, DGP, ब्रिगेडियर आदित्य विक्रम पैठिया उपस्थित रहे.

इस दौरान, सीएम कमलनाथ ने आदित्य विक्रम पैठिया को वर्ष 1971 के युद्ध में विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया. सीएम कमलनाथ ने वर्ष 1971 के युद्ध के सैन्य अधिकारियों और जवानों को प्रतीक चिन्ह और शाल प्रदान कर सम्मानित किया. साथ ही शहीद सैनिकों के परिजनों का भी सम्मान किया.

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल के शौर्य स्मारक पर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि भारत न पहले कमजोर था और न ही आज कमजोर है. सीएम कमलनाथ ने जनता को विजय दिवस का संदेश देते हुए कहा कि इस अवसर पर हम सब को ये याद रखना चाहिए कि सभी नागरिकों को, चाहे वे किसी भी मजहब, जाति अथवा पंथ को मानने वाले हों, सबका ये कर्तव्य है कि राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत बनाएं. मुख्यमंत्री ने नागरिकों से आह्वान किया है कि सब भारत के विकास, खुशहाली और अमन-चैन के लिए मिलकर प्रयास करें.

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विजय दिवस संदेश में बताया कि 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ और 16 दिसंबर को ढाका में पाक सेना के समर्पण के साथ समाप्त हुआ. उन्होंने कहा कि इस युद्ध की शुरुआत में पाकिस्तान ने भारत की वायुसेना के 11 स्टेशनों पर हवाई हमले किये. इसमें भारतीय सेना का पाकिस्तान से पूर्वी और पश्चिमी मोर्चे पर संघर्ष हुआ. भारतीय सेना ने पाक सेना को दोनों मोर्चों पर परास्त किया. जिसके बाद हताश पाकिस्तानी सेना आत्म-समर्पण करने के लिए मजबूर हुई इसी के साथ पूर्वी पाकिस्तान नए 'बांग्लादेश' के रूप में स्थापित हुआ.

सीएम कमलनाथ ने कहा कि ये युद्ध तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के सशक्त नेतृत्व और अद्वितीय राष्ट्रवाद की अद्भुत मिसाल होने के साथ भारतीय जांबाज सैनिकों के अदम्य शौर्य का भी प्रतीक है. इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिक घुटने टेकने पर मजबूर हुए और उन्हें आत्म-समर्पण करना पड़ा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अभूतपूर्व विजय के दो कारण थे. पहला कारण था तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत रत्न इंदिरा गांधी का दृढ़ संकल्प और राजनीतिक नेतृत्व तथा दूसरा कारण था भारतीय थल सेना अध्यक्ष और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल सैम मानेकशॉ का कुशल रणनीतिक नेतृत्व.

सीएम कमलनाथ ने बताया कि उस वक्त अधिकांश पश्चिमी देश और महाशक्ति अमेरिका भारत को पाकिस्तान के विरुद्ध कुछ नहीं करने के लिए खुलेआम धमका रहे थे. तब, इंदिरा गांधी का ही साहस था, जिन्होंने पाकिस्तान को सशस्त्र संघर्ष में सबक सिखाया और भारत की प्रभुता स्थापित की. उनकी असाधारण सूझबूझ और सैन्य बलों के अदम्य शौर्य ने देशवासियों को जिस तरह हर्षित और गौरवान्वित किया, वो बेमिसाल था और युगों तक याद किया जायेगा.

मुख्यमंत्री ने तत्कालीन प्रधानमंत्री  इंदिरा गांधी द्वारा 16 दिसंबर 1971 को संसद में दिए गए वक्तव्य का प्रमुख अंश भी दोहराया.

कैप्टन प्रवीण डावर, दिल्ली ने 1971 के भारत पाक युद्ध का उल्लेख करते हुए बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कुशल नेतृत्व और साहस का परिचय देकर सेनाओं का मनोबल बढ़ाया. पूरे विश्व में इंदिरा जी के इस कदम को सराहा गया.

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