शहडोल में 6 बच्चों की मौत पर CM शिवराज सख्त, स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ की आपात बैठक
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शहडोल में 6 बच्चों की मौत पर CM शिवराज सख्त, स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ की आपात बैठक

मुख्यमंत्री ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मामले की रिपोर्ट ली और विस्तृत जांच के निर्देश दिए. सीएम ने अधिकारियों से शहडोल जिला में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कहा, साथ ही निर्देश दिए कि जरूरत हो तो जबलपुर से विशेषज्ञों की टीम भेजी जाए.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ आपात बैठक करते हुए.

शहडोल: शहडोल के कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल में बीते 48 घंटों में 6 नवजातों की मौत ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए सोमवार को जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई. उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मामले की रिपोर्ट ली और विस्तृत जांच के निर्देश दिए. सीएम ने अधिकारियों से शहडोल जिला में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कहा, साथ ही निर्देश दिए कि जरूरत हो तो जबलपुर से विशेषज्ञों की टीम भेजी जाए. उन्होंने प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकीय सुविधाओं की समीक्षा के निर्देश दिए हैं.

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डेढ़ साल पहले भी एक साथ 6 नवजातों की मौत हुई थी
आपको बता दें बीते शनिवार को शहडोल जिला अस्पताल के पीआईसीयू (Pediatric Intensive Care Unit) और एसएनसीयू (Sick Newborn Care Unit) में भर्ती चार बच्चों की मौत हो गई थी. ये मौतें 24 घंटे के अंदर हुईं. अगले दिन दो और नवजातों ने दम तोड़​ दिया. गौरतलब है कि डेढ़ साल पहले ही जिला अस्पताल की इसी यूनिट में एक साथ 6 बच्चों की मौत हुई थी. तब लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को हटा दिया गया था.

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अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि बच्चे गंभीर स्थिति लाए गए थे
जिला अस्पताल के एसएनसीयू और पीआईसीयू में जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें पुष्पराज (4 माह), राज कोल (3 माह), पीआईसीयू में भर्ती प्रियांस (2 माह) और उमरिया जिला अस्पताल से रेफर होकर आई निशा (3 दिन)  शामिल हैं. कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जिन बच्चों की मौत हुई है वे सभी अति गंभीर स्थिति में थे, जिसके कारण उनको नहीं बचाया जा सका. सीएमएचओ  डॉ.राजेश पांडेय ने कहा कि पीआईसीयू और एसएनसीयू में बाकायदा अलग-अलग डॉक्टर ड्यूटी कर रहे हैं. किसी तरह से लापरवाही नहीं की जाती है. जिन बच्चों की मौत हुई उनकी हालत पहले से ही नाजुक थी. इस बारे में उनके परिजनों को डॉक्टरों ने बताया भी था.

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