CM से PM तक, एक शहर दो संयोगः कोई शहर में घुसा तो पद गया, किसी को मिली सत्ता-भाग्य बदला
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CM से PM तक, एक शहर दो संयोगः कोई शहर में घुसा तो पद गया, किसी को मिली सत्ता-भाग्य बदला

मुख्यमंत्रियों से उनकी सत्ता छीनने वाले अशोक नगर का मिथक कितना सही है या कितना गलत है नहीं जानते लेकिन सत्ता में रहते हुए जो भी अशोक नगर गए, उनकी कुर्सी कुछ ही दिनों में चली गई. 

सांकेतिक तस्वीर.

अशोक नगर: मध्यप्रदेश की राजनीति से बहुत से मिथ जुड़े होंगे लेकिन बात जब सीएम पद की हो तो कोई भी अपनी कुर्सी से रिस्क नही लेना चाहेगा. प्रदेश में एक ऐसी जगह है जहां मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए बीजेपी-कांग्रेस के नेता जाने से डरते हैं. जो भी इस जगह गया है चुनावी सभा करने या कार्यक्रम में तो उसकी कुर्सी नही बच पाई है. 

बता दें कि शनिवार को अशोक नगर में उपचुनाव को लेकर सीएम शिवराज सिंह यहां कदम नही रखेंगे. वह अशोक नगर से 9 किलोमीटर दूर ही सहोदरी गांव बैंठक लेंगे. वही कमलनाथ की सभा भी 35 किलोमीटर दूर ही राजपुर गांव में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे. कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सांसद रहते हुए अशोक नगर की सभाओं में शिवराज पर अशोक नगर को लेकर कटाक्ष करते थे.

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इतने मुख्यमंत्री अशोक नगर में कदम रखकर गंवा चुके हैं कुर्सी
मुख्यमंत्रियों से उनकी सत्ता छीनने वाले अशोक नगर का मिथक कितना सही है या कितना गलत है नहीं जानते लेकिन सत्ता में रहते हुए जो भी अशोक नगर गए, उनकी कुर्सी कुछ ही दिनों में चली गई. यह है कुछ बड़े नाम

 

प्रकाश चंद्र सेठी 1975 - पार्टी के अधिवेशन में अशोकनगर गए और साल खत्म होने तक दिसंबर 1975 को उनकी कुर्सी चली गई. 

श्यामा चरण शुक्ला 1977- तत्कालीन मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ला तुलसी सरोवर का लोकार्पण करने अशोकनगर गए थे. इसके बाद 29 मार्च 1977 को राष्ट्रपति शासन लगा और उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा.

मोतीलाल वोरा 1988 - अशोकनगर के रेलवे स्टेशन के फुट ओवरब्रिज का उद्घाटन के लिए रेलमंत्री माधवराव सिंधिया के साथ पहुंचे थे. इसके बाद उन्हें सीएम की कुर्सी से ही हटना पड़ा.

सुंदरलाल पटवा 1992 - अशोक नगर में आयोजित प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल हुए मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की भी कुर्सी कुछ ही समय में चली गई. इस दौरान अयोध्या के विवादित ढांचे को भी ढहाया गया था. जिसके कारण भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया गया और इन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी.

दिग्विजय सिंह 2002- अशोक नगर में कदम रखने और सत्ता गंवाने वालों की लिस्ट में दिग्गी राजा भी शामिल है. 2001 में माधव राव सिंधिया के देहांत के बाद खाली हुई सीट पर उनके बेटे ज्योतिरादित्य के प्रचार के लिए अशोक नगर गये थे फिर भी इनकी कुर्सी नहीं बची. इनकी कुर्सी जाने में थोड़ा वक्त लगा, लेकिन 2003 में उमा भारती ने इन्हें कुर्सी से अपदस्थ कर दिया.

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मान्यता ये भी है कि अशोक नगर के प्राचीन राज राजेश्वर मंदिर के दर्शन करने के बाद उच्च पद हासिल होता है

1961: भारत के गृहमंत्री लालबहादुर शास्त्री अशोकनगर आने के बाद प्रधानमंत्री बने.
1975: पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस अधिवेशन में अशोकनगर आए फिर प्रधानमंत्री बने.
1984: राजीव गांधी अशोकनगर आए फिर प्रधानमंत्री बने.
2014: नरेन्द्र मोदी ने 2013 में अशोक नगर से अपनी रैली की शुरूआत की फिर प्रधानमंत्री बने.
1993: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिग्विजय सिंह अशोकनगर आए लगातार दो बार मुख्यमंत्री बने.
2005: शिवराज सिंह अशोक नगर आए और लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहे.
2020: शिवराज सिंह चौहान अशोक नगर आए और आते ही फिर चौथी बार मुख्यमंत्री बने.

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