मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने पूर्व की कमलनाथ सरकार के एक और फैसले को बदल दिया है. सरकार ने कलेक्टर का पदनाम नहीं बदलने का फैसला लिया है.
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भोपाल: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने पूर्व की कमलनाथ सरकार के एक और फैसले को बदल दिया है. सरकार ने कलेक्टर का पदनाम नहीं बदलने का फैसला लिया है. सीएम शिवराज ने पांच आईएएस की उस कमेटी को निरस्त कर दिया जिसे तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने कलेक्टर का पदनाम बदलकर नया नाम सुझाने के लिए गठित किया था.
दरअसल, कांग्रेस सरकार बनने के बाद जब कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो, उन्होंने कहा था कि अंग्रेजों के शासनकाल में राजस्व कलेक्ट करने वाले अफसरों का नाम कलेक्टर रखा गया था, इसीलिए राज्य सरकार इसमें परिवर्तन करना चाहती है. इसके लिए आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष और वाणिज्यिक कर विभाग के अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई थी. जिसका काम विभिन्न वर्गों के साथ बैठक कर कलेक्टर के पदनाम परिवर्तन पर समर्थन जुटाना था.
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आपको बता दें कि अलग -अलग राज्यों में कलेक्टर को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. उत्तर प्रदेश में डीएम (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट), पंजाब में डीसी (डिप्टी कमिश्नर) पदनाम है. मध्य प्रदेश में भी जिलाधीश, जिला मजिस्ट्रेट, जिला प्रबंधक या जिला अधिकारी पदनाम करने पर विचार चल रहा था. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का मानना था कि कलेक्टर नाम अंग्रेजों का दिया हुआ है. इसे बदलकर जनसेवक जैसा कोई पदनाम दिया जाना चाहिए. लेकिन अब 15 महीने बात कमलनाथ की सरकार नहीं रही और अब वर्तमान में शिवराज सरकार ने उनके द्वारा गठित कमेटी को निरस्त कर दिया है.
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