परिजनों का कहना है कि बिजली कंपनी के अधिकारियों ने किसान मुनेंद्र को प्रताड़ित किया और उसकी बेज्जती की जिसकी वजह से उसने अपनी जान दे दी.
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छतरपुर: जिले के मातगुवां गांव में किसान मुनेंद्र राजपूत ने फांसी लगा ली. किसान पर आटा चक्की का 87 हजार रुपये बिजली बिल बकाया होने पर बिजली कंपनी ने सामान समेत मोटरसाइकिल कुर्की की कार्रवाई की थी. घटनास्थल से 4 पेज का सुसाइड नोट मिला है. जो प्रधानमंत्री के नाम लिखा है. जिसमें लिखा है कि 'मेरा शरीर सरकार को दें दे और शरीर का अंग-अंग बेच कर कर्ज चुकाता करा ले. पुलिस ने मामला दर्ज कर मामले को जांच में ले लिया.
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सुसाइड नोट में लिखा
घटनास्थल पर पुलिस को चार पेज का सुसाइड नोट मिला है. जिसमें लिखा कि मेरा शरीर सरकार को सौंप दिया जाए. वह मेरे शरीर का एक-एक अंग बेचकर कर्ज चुका दे. किसान ने कर्ज को न चुका पाने का कारण भी लिखा है. नोट में लिखा गया है कि लॉकडाउन में काम ठप हुआ, उसकी भैंस की करंट से मौत, तीन भैंस चोरी होने और खेती से भी आमदनी नहीं होने के कारण वह बिल नहीं चुका पाया.
पार्टी के लिए जान भी देने को तैयार
प्रधानमंत्री का जिक्र करते हुए लिखा कि मैं एक आम नागरिक हूं, मैंने जब से होश संभाला है, तब से आपकी पार्टी का तन, मन, धन यहां तक की पार्टी के लिए जान भी देने का तैयार रहता था. मैं आपकी पार्टी के उसूलों पर चलते आया हूं.
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परिजनों का बिजली विभाग पर आरोप
परिजनों का कहना है कि बिजली कंपनी के अधिकारियों ने किसान मुनेंद्र को प्रताड़ित किया और उसकी बेज्जती की जिसकी वजह से उसने अपनी जान दे दी. मुनेंद्र के परिवार में पत्नी बिनोवा, व उसकी 3 बेटियां और एक बेटा है. उसकी मौत के बाद पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है. घटना के बाद से गांव में शोक की लहर है.
पुलिस ने की कार्रवाई की बात
एसपी सचिन शर्मा का कहना हैं कि मामले की गहन जांच की जा रही है बिजली कंपनी के बकाया और सुसाइड नोट की जांच के बाद जो सामने आएंगा. उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
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