भोपाल-इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन द्वारा किया जायेगा. यह कम्पनी अब भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार की 50:50 ज्वाइंट वेंचर कंपनी में परिवर्तित होगी.
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल में मेट्रो के दौड़ने के नींव रख दी गई है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच सोमवार को मेट्रो चलाने के लिए समझौता हुआ. दोनों शहरों में मेट्रो के 2023 तक दौड़ने की उम्मीद है. मध्य प्रदेश में मेट्रो चलाने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी और राज्य के मंत्री जयवर्धन सिंह ने करार पर हस्ताक्षर किए. जयवर्धन सिंह ने बताया कि दस साल से मेट्रो को चलाने की चर्चा हो रही थी, मगर अब केंद्र और राज्य सरकार के बीच समझौता हो गया है.
उन्होंने बताया कि भोपाल में मेट्रो चलाने पर सात हजार करोड़ और इंदौर में साढ़े सात हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा. उन्होंने बताया कि इसमें 20-20 फीसदी की हिस्सेदारी केंद्र और राज्य सरकार की होगी, जबकि 60 फीसदी पैसा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से राज्य सरकार लेगी. जयवर्धन सिंह ने बताया कि भोपाल और इंदौर में करीब 25 से 30 किलोमीटर की लाइन बिछाई जाएगी. उन्होंने बताया कि मेट्रो को 2023 तक शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है. इसे पूरा करने के लिए कल से ही राज्य सरकार काम भी शुरू कर देगी.
केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन के बीच करारनामे पर हस्ताक्षर
मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर शहर में 2023 की शुरूआत में मेट्रो रेल का प्रथम चरण जनता के लिए शुरू हो जायेगा. केन्द्रीय शहरी आवास एवं विकास कार्य मंत्रालय, निर्माण भवन में भोपाल-इंदौर मेट्रो रेल के लिए समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये गये. जिसमें केन्द्र सरकार की ओर से सचिव, केन्द्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय दुर्गा शंकर मिश्रा, मध्यप्रदेश सरकार की ओर से मुख्य सचिव एसआर मोहंती और मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध संचालक संजय दुबे ने हस्ताक्षर किये.
भोपाल मेट्रो रेल प्रोजेक्ट 27.87 किलोमीटर में कॉरीडोर बनायेगा. एक कॉरीडोर करोंद सर्कल से एम्स तक 14.99 किलोमीटर और दूसरा भदभदा चौराहे से रत्नागिरी तिराहा तक 12.88 किलोमीटर का होगा. इसकी कुल लागत लगभग 7 हजार करोड़ रुपये की होगी. इसी प्रकार इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में 31.55 किलोमीटर की रेल लाइन बनेगी. यह बंगाली चौराहा से विजय नगर, भंवर शाला, एयरपोर्ट होते हुए पलासिया तक जायेगी. इसकी कुल लागत साढ़े सात हजार करोड़ रुपये की होगी.
इन दोनों मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर पिछले 9-10 वर्षों से केवल चर्चा हो रही थी. पर किसी मुकाम पर नहीं पहुंच रहे थे. इन दोनों परियोजनाओं में केन्द्र का अंश 20 प्रतिशत, राज्य का 20 प्रतिशत और शेष 60 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा ऋण लिया जायेगा. जिसकी गारंटी मध्यप्रदेश सरकार देगी.
प्रमुख बातें
भोपाल-इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन द्वारा किया जायेगा. यह कम्पनी अब भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार की 50:50 ज्वाइंट वेंचर कंपनी में परिवर्तित होगी. कम्पनी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल के रूप कार्य करेगी. कम्पनी का एक बोर्ड आफ डायरेक्टर्स होगा. इसमें 10 डायरेक्टर होगें. भारत सरकार बोर्ड के चेयरमैन सहित 5 डायरेक्टर नामित करेगी. प्रदेश सरकार मैनेजिंग डायरेक्टर सहित 5 डायरेक्टर नामित करेगी.
प्रोजेक्ट में प्रदेश सरकार भूमि अधिग्रहण, पुर्नस्थापन और पुनर्वास में आने वाला पूरा खर्च वहन करेगी. भोपाल मेट्रो के लिए यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक और इंदौर मैट्रो के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक तथा न्यू डेवलपमेंट बैंक से लोन भी लिया जायेगा. भारत सरकार इक्विटी शेयर कैपिटल खरीदेंगी, जिससे प्रोजेक्ट के लिए बहुपक्षीय और द्विपक्षीय लोन की सुविधा मिल सके. प्रोजेक्ट में आने वाली कठिनाइयों के जल्द निराकरण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी बनायी जायेगी. कमेटी में संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव भी शामिल होंगे.