मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही तेज बारिश ने पूरे जिले को बाढ़ की चपेट में ले लिया है. अधिकतर ग्रामीण इलाकों का शहर से सड़क संपर्क टूट गया है.
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नई दिल्लीः मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही तेज बारिश ने पूरे जिले को बाढ़ की चपेट में ले लिया है. अधिकतर ग्रामीण इलाकों का शहर से सड़क संपर्क टूट गया है. पिछले लगभग 60 घंटों से उफान पर चल रही शिवना नदी का पानी रात में पशुपति नाथ मंदिर में प्रवेश किया और पहले 4 और फिर आठो मुख जलमग्न हो गए. शहर की निचली बस्तियों में पानी भर गया है. शहर को शिवना के उफान ने दो हिस्सो में बाट दिया है. अभिनन्दन समेत कुछ इलाकों में जलभराव की स्थिति है.
ग्रामीण अंचल में कई गावों में निचली बस्तियों में पानी भर चुका है. तालाबों के किनारे पर रहने वाले लोगों ने लबालब भरे तालाबों के पास डर के साए में जागकर रात गुजारी. पुलिस प्रशासन और समाजसेवियों की टीम मुस्तैदी से अपना काम कर रही है और राहत शिविरों में रह रहे लोगों को खाना और शुद्ध जल की व्यवस्था की जा रही है. अभी जिले में 3000 से ज्यादा लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. बारिश से ग्रामीण इलाकों में कई कच्चे मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं.
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बता दें मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में मौसम विभाग ने 19 अगस्त तक का अलर्ट जारी किया है. जिला प्रशासन ने सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों की छुट्टियां लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है और स्वीकृति अवकाश रद्द कर दिया है. जिले में स्थित एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील माने जाने वाले गांधी सागर बांध का जल स्तर लगभग 1300 फीट हो चुका है. मंदसौर में रात भर से रुक-रुक कर बारिश जारी है.
Madhya Pradesh: Flood-water enters Pashupatinath Temple in Mandsaur. Several parts of Mandsaur district are flooded following heavy rainfall. SP Hitesh Chaudhary says, "People from waterlogged & flooded areas have been shifted, admn has arranged food & accommodation for them." pic.twitter.com/ciQGO7xDWo
— ANI (@ANI) August 16, 2019
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जिले के गांव हैदरवास में जलभराव की स्थिति होने की वजह से पिछले 2 दिनों से ग्रामीणों को राहत शिविर में रखा गया है. गंगा गार्डन के राहत शिविर में रह रहे लोग बारिश के थमने का इंतजार कर रहे हैं. ग्रामीणों को उम्मीदें है कि जल्द ही बारिश थम जाएगी और फिर यह अपने घरों को लौट आएंगे, लेकिन जिनके घर ही टूट चुके हैं वह हताश और निराश नजर आ रहे हैं और अब सरकारी सहायता की आस लगाए बैठे हैं.