शिवराज कैबिनेट में खाद्य सुरक्षा अधिनियम अध्यादेश मंजूर, अब मिलावटखोरी करने पर होगी उम्रकैद
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शिवराज कैबिनेट में खाद्य सुरक्षा अधिनियम अध्यादेश मंजूर, अब मिलावटखोरी करने पर होगी उम्रकैद

शिवराज सरकार की मंगलवार को हुई इस साल की आखिरी कैबिनेट मीटिंग में खाद्य सुरक्षा अधिनियम और लोक सेवा प्रबंधनअधिनियम में संशोधन अध्यादेश को भी मंजूरी दे दी. 

 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान. (File Photo)

भोपाल: इस साल की आखिरी कैबिनेट बैठक में ​शिवराज सरकार ने कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगाई. मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020 के अध्यादेश के अलावा खाद्य सुरक्षा अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को भी मंजूरी दी गई. इसके तहत मिलावटखोरों को उम्रकैद की सजा होगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट बैठक के दौरान कहा कि उनकी सरकार का फोकस मिलावटखोरों पर ज्यादा है. इसलिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम में संशोधन व्यापारियों के लिए नहीं बल्कि मिलावटखोरों के लिए किया गया है.

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खाद्य सुरक्षा अधिनियम में संशोधन
उन्होंने कहा कि लोगों की जान से खिलवाड़ करने वालों को जीवन भर जेल में चक्की चलाना पड़ेगी. मुख्यमंत्री ने अपनी कैबिनेट के मंत्रियों से कहा कि नए साल में 'आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश' के रोडमैप को लागू करने के लिए सबको जी-जान से जुटना है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार को इनपुट मिला था कि नकली प्लाज्मा के तरह कोरोना वैक्सीन में भी फर्जीवाड़ा हो सकता है. इसे लेकर मुख्यमंत्री शिवराज की अध्यक्षता में 22 दिसंबर को हुई.

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मिलावटखोरों को होगी उम्र कैद
इसमें निर्णय लिया गया था कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम में संशोधन कर मिलावटखोरों के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया जाएगा. पहले खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 272 से 276 में मिलावट करने वाले को 6 माह की सजा और 1 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान था. लेकिन अब इसमें संशोधित कर आजीवन कारावास की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसी तरह अधिनियम की धारा 277 (क) में एक्सपायरी डेट की दवाएं बेचने पर सजा की अवधि 3 साल से बढ़ाकर 5 साल और 1 लाख रुपए का जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

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अब तय समय सीमा में ही काम
शिवराज कैबिनेट ने लोक सेवा प्रबंधन अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. इसके तहत अब सरकारी कार्यालयों में निर्धारित समय सीमा में काम करने का प्रावधान होगा. अभी निर्धारित समयावधि में काम नहीं होने पर संबंधित अधिकारी पर जुर्माना लगाने और यह राशि आवेदक को देने का प्रावधान था. लेकिन अब लोक सेवा प्रबंधन अधिनियम में संशोधन कर समय सीमा में ही काम किए जाने का प्रावधान किया गया है. मतलब यदि किसी सरकारी दफ्तर में आपने स्वीकृति के लिए आवेदन किया है. उसकी समय सीमा 30 दिन की तय है. इस अवधि में आवेदन पर कार्रवाई नहीं हुई तो, संबंधित अफसरों पर जुर्माना लगेगा ही, साथ ही आपके आवेदन को स्वीकृत मान लिया जाएगा.

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