GST अफसरों ने कंपनी पर लगाया था 22 लाख रुपए टैक्स+पेनल्टी, हाई कोर्ट ने 1000 Rs किया
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GST अफसरों ने कंपनी पर लगाया था 22 लाख रुपए टैक्स+पेनल्टी, हाई कोर्ट ने 1000 Rs किया

जीएसटी अधिकारियों ने ई-वे बिल में एड्रेस की गलती के आधार पर 22 लाख रुपए टैक्स और पेनल्टी लगा दी. इस मामले में जॉइंट कमिश्नर के समक्ष अपील की गई. लेकिन अपील को खारिज कर दिया गया. इसके बाद कंपनी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 

सांकेतिक तस्वीर.

जबलपुर: जीएसटी चोरी के एक मामले में जबलपुर हाई कोर्ट (Jabalpur High Court) ने बड़ा आदेश सुनाते हुए 22 लाख रुपए के टैक्स और पेनल्टी को महज 1000 में बदल दिया है. कटनी की कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने वाणिज्य कर विभाग द्वारा ई-वे बिल (E-Way Bill) में गलत पते के आधार पर लगाए गए 22 लाख रुपए की टैक्स और पेनल्टी को रद्द करने के आदेश दिए हैं.

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दरअसल कटनी की एक कंपनी ने टनल बोरिंग के पार्ट्स खराब होने पर अमेरिका से पार्ट्स मंगवाए थे. मुंबई बंदरगाह पर इसके लिए एक कस्टम क्लीयरेंस हुआ और पूरा टैक्स चुकाए गया. लेकिन जब ट्रक से माल मुंबई से कटनी आ रहा था इस दौरान जीएसटी के अधिकारियों ने ई-वे बिल की जांच की. जांच में एड्रेस गलत पाया गया, हालांकि माल पहुंचाने की दूरी सही लिखी हुई थी. 

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जीएसटी अधिकारियों ने ई-वे बिल में एड्रेस की गलती के आधार पर 22 लाख रुपए टैक्स और पेनल्टी लगा दी. इस मामले में जॉइंट कमिश्नर के समक्ष अपील की गई. लेकिन अपील को खारिज कर दिया गया. इसके बाद कंपनी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने तमाम तर्कों को सुनने के बाद वाणिज्य कर विभाग द्वारा ई-वे बिल में गलत पते के आधार पर लगाए गए टैक्स और पेनल्टी को जीएसटी के 18 सितंबर 2018 के सर्कुलर के अनुसार करने का आदेश दिया.

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इसके मुताबिक यह पेनल्टी 1 हजार रुपए हो जाती है. याचिकाकर्ता कंपनी के वकील अभिषेक ध्यानी के मुताबिक जीएसटी के अधिकारी इन दिनों छोटी-छोटी तकनीकी त्रुटियों के आधार पर पेनल्टी की कार्रवाई कर रहे हैं. हाई कोर्ट का यह फैसला ऐसी कार्रवाइयों के खिलाफ मील का पत्थर साबित होगा. वस्तु एवं सेवा कर (GST) की खामियों को दूर कर सरल बनाने को लेकर 26 फरवरी को देशभर में व्यापारी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था. 

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