नाबालिग से दुष्कर्म का मामला: पुलिस अधिकारियों पर FIR के आदेश, जांच CBI को
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नाबालिग से दुष्कर्म का मामला: पुलिस अधिकारियों पर FIR के आदेश, जांच CBI को

बहुचर्चित दलित नाबालिग लड़की के साथ हुए गैंगरेप के मामले में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है. शुरुआती दौर में जस्टिस ने ग्वालियर पुलिस को इस मामले में सिलसिलेवार तरीके से दोषी माना है.

नाबालिग से दुष्कर्म का मामला: पुलिस अधिकारियों पर FIR के आदेश, जांच CBI को

ग्वालियर: बहुचर्चित दलित नाबालिग लड़की के साथ हुए गैंगरेप के मामले में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है. शुरुआती दौर में जस्टिस ने ग्वालियर पुलिस को इस मामले में सिलसिलेवार तरीके से दोषी माना है. साथ ही आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाय उलटे फरियादियों पर उत्पीड़न करने के पुलिस की कार्रवाई को गंभीर कृत्य माना है.

5 पुलिस वालों को ग्वालियर-चंबल रेंज के बाहर पोस्टिंग
हाई कोर्ट ने कहा है कि पुलिस के रवैये को देखकर नहीं लगता कि पीड़िता को न्याय मिल सकेगा. इसलिए इस पूरे मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई के सुपुर्द करने का आदेश कोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने इस मामले में लिप्त पुलिस अफसरों पर 50 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है. कोर्ट ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन गुर्जर, सीएसपी रामनरेश पचौरी, मुरार टीआई अजय पवार, सिरोल टीआई प्रीति भार्गव, सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय को ग्वालियर-चंबल रेंज से बाहर पदस्थ करने के आदेश दिए हैं. 

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मुरार थाने के TI और सब इंस्पेक्टर के खिलाफ FIR के आदेश
वहीं कोर्ट ने मुरार थाने के टीआई और सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय पर नाबालिग दलित लड़की और उसके परिवार के साथ मारपीट करने के मामले में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. लड़की को स्वतंत्रता दी है कि वह अतिरिक्त मुआवजे के लिए न्यायालय में अलग से याचिका दायर कर सकती है.

क्या था मामला?
दरअसल, उपनगर मुरार थाना क्षेत्र में एक 16 साल की नाबालिग दलित लड़की के साथ आदित्य भदौरिया और एक अन्य ने दुष्कर्म किया था. आदित्य के दादा गंगा सिंह भदौरिया ने पुलिस से अपनी नजदीकी का लाभ उठाकर पीड़िता का ही उत्पीड़न किया और उस पर दबाव बनाया कि वह पुलिस में बलात्कार की रिपोर्ट वापस ले. पर लड़की अड़ी रही. इसी के चलते उसे और उसके परिवार को पुलिस का अत्याचार झेलना पड़ा. 1 फरवरी को जिला न्यायालय में 164 के तहत पुलिस के खिलाफ अपने बयान भी दर्ज कराए थे. कोर्ट ने यह भी कहा है कि क्योंकि लड़की अनुसूचित जाति वर्ग से आती है. इसलिए पुलिस अफसरों के खिलाफ दलित उत्पीड़न की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया जाए.

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