भोपाल: राजधानी भोपाल के जाने-माने डॉक्टर और गांधी मेडिकल कॉलेज के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. आरके जैन का शुक्रवार को चेन्नई के एमजीएम हॉस्पिटल में लंग ट्रांसप्लांट सर्जरी हुई. उन्हें बेंगलुरु के एक ब्रेनडेड मरीज के लंग्स ट्रांसप्लांट किए गए. प्रदेश में यह पहला मामला मौका है, जब कोरोना संक्रमण से फेफड़े खराब होने के बाद किसी मरीज की लंग ट्रांसप्लांट सर्जरी हुई है.


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90 प्रतिशत तक फैल गया था लंग में संक्रमण
कोरोना संक्रमण की वजह से डॉ. जैन के फेफड़े इस साल की शुरुआत में पूरी तरह से खराब हो गए थे. उनके लंग में 90 प्रतिशत तक संक्रमण फैल गया था. जिसके बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से जनवरी के दूसरे सप्ताह में चेन्नई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां सर्जरी के बाद उन्हें एक्मो मशीन के सपोर्ट पर रखा गया था. उससे पहले वे भोपाल के नेशनल हॉस्पिटल में भर्ती थे, लेकिन सेहत में सुधार नहीं होने पर अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें चेन्नई के एमजीएम हॉस्पिटल रिफर किया गया था. 


बेंगलुरु से ब्रेनडेड मरीज के फेफड़ें पहुंच मुंबई
डॉ. आरके जैन की सर्जरी के लिए बेंगलुरु से ब्रेनडेड मरीज के फेफड़े को चेन्नई पहुंचाया गया था. मेडिकल कॉलेज चेन्नई के डॉक्टरों ने शुक्रवार दोपहर 3:30 बजे डॉ. आरके जैन को लंग ट्रांसप्लांट के लिए ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट किया था. इससे ठीक आधे घंटे पहले बेंगलुरु के एक ब्रेनडेड मरीज के फेफड़े एमजीएम हॉस्पिटल पहुंचे थे.


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वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी रखना पड़ा था
इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया था. अस्पताल में दिए गए इलाज से उनकी सेहत में सुधार नहीं होने पर पर एयर एंबुलेंस से एमजीएम हॉस्पिटल चेन्नई में भर्ती कराया. जहां उनकी हालत 1 महीने से गंभीर बनी हुई है. अस्पताल के डॉक्टरों ने 2 सप्ताह पहले डॉ. जैन की लंग ट्रांसप्लांट सर्जरी कराने की सलाह परिजनों को दी थी.


फेफड़ों का काम करती है एक्मो मशीन
जीएमसी के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. लोकेंद्र दवे ने बताया कि लंग फाइब्रोसिस होने पर या फेफड़ों में संक्रमण 90% से ज्यादा बढ़ने पर मरीज को एक्मो मशीन पर शिफ्ट किया जाता है. यह मशीन मरीजों के फेफड़ों के लिए एक्मो का काम करती है. इससे फेफड़ों को आराम मिलता है. 100 मरीजों में से 25 फीसदी मरीज स्वस्थ हो जाते हैं, जबकि असफलता की दर 75 फीसदी है.


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एक दिन का आता है 60 हजार रुपए खर्च
एक्मो मशीन की मदद से मरीज का एक दिन का इलाज खर्च करीब 60 हजार रुपए आता है. जबकि पहले दिन मरीज को एक्मो पर शिफ्टिंग के समय दवाओं सहित अन्य खर्च करीब 3 लाख रुपए बैठता है. इस तकनीक से मरीज के ब्लड की कार्बन डायऑक्साइड को निकाला जाता है और ऑक्सीजन को आर्टिफिशियल तरीके से ब्लड में मिलाया जाता.


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