सड़कों पर भीख मांग रहा था IIT कानपुर से पढ़ा, अंग्रेजी बोलता बुजुर्ग...
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh802355

सड़कों पर भीख मांग रहा था IIT कानपुर से पढ़ा, अंग्रेजी बोलता बुजुर्ग...

बुजुर्ग आईआईटीयन सुरेन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि उनका परिवार विदेश में रहता है. जब सुरेन्द्र के भतीजे से संपर्क किया तो पता चला उनकी कही सारी बातें सच हैं. 

सुरेंद्र वशिष्ठ.

शैलेंद्र सिंह/ग्वालियर: ग्वालियर में स्वर्ग सदन आश्रम संचालित करने वाले विकास गोस्वामी को किसी परिचित का फोन आया कि शिंदे छावनी बस स्टैंड पर एक बुजुर्ग फुटपाथ पर पड़े हुए हैं. विकास अपने साथियों के साथ उनके पास पहुंचे, तो देखा की बुजुर्ग एक चादर ओढ़कर फुटपाथ कि किनारे सोये हुए हैं. विकास ने जब चादर हटाया तो वह फर्राटेदार अंग्रेजी में बोलने लगे. पूछताछ में उन्होंने अपना नाम सुरेंद्र वशिष्ठ, उम्र 92 वर्ष और निवास स्थान बरेली बताया. उन्होंने यह भी बताया कि उनका एक भतीजा है, जो वर्तमान में ग्वालियर के गांधीनगर इलाके में रहता है.

अभिनेता राजपाल यादव ने किया किसानों का समर्थन, बोले- जिसे भारत मानता है, उसे मैं भी मानता हूं

आईआईटीयन भिखारी की जिंदगी गुजारते मिला
विकास और उनके साथी 92 वर्षीय बुजुर्ग को स्वर्ग सदन आश्रम लेकर आए. उन्हें नहा-धुलाकर भोजन कराया और ठहरने का प्रबंधन किया. सदन में जब उनसे बात की गई तो सभी हैरान हो गए. सुरेंन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि वह ग्वालियर के मशहूर मिस हिल हायर सेकंडरी स्कूल (Miss Hill Higher Secondary School) के टॉपर रहे हैं. उन्होंने 1969 में आईआईटी कानपुर(IIT KANPUR) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग किया और 1972 में लखनऊ के डीएवी कॉलेज से एलएलएम. उनके पिता ग्वालियर की जेसी मिल में काम करते थे, उसके बाद दिल्ली के कनॉट प्लेस में खादी भंडार सहित कई जगह नौकरी की.

fallback

बुजुर्ग सुरेंद्र वशिष्ठ का परिवार विदेश में रहता है
बुजुर्ग आईआईटीयन सुरेन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि उनका परिवार विदेश में रहता है. विकास के अनुसार जब उन्होंने सुरेन्द्र के भतीजे से संपर्क किया तो पता चला उनकी कही सारी बातें सच हैं. उन्होंने शादी नहीं की. सुरेंद्र वशिष्ठ की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए वह भटकते रहते हैं. हालांकि, सवाल यह भी उठता है कि परिवार इतना संपन्न होने के बावजूद बुजुर्ग को भटकने के लिए क्यों छोड़ दिया गया. उनका इलाज क्यों नहीं करवाया गया.

Exclusive: जो भिखारी निकला था डीएसपी का बैचमेट, सगे भाई सुना रहे हैं उनकी अनसुनी दास्तान

कचरे में खाना ढूंढता मिला था डीएसपी का बैचमेट
आपको बता दें कि इससे पहले भी बीते 10 नवंबर की रात उपचुनाव की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिंह को ग्वालियर की सड़कों पर ठंड से ठिठुरता और कचरे में खाना ढूंढ रहा एक भिखारी मिला था. जब डीएसपी भिखारी के पास पहुंचे तो वह चौंक गए थे. दसअसल, वह उनका ही बैचमेट मनीष मिश्रा निकला, जो पुलिस एकेडमी में अचूक निशानेबाज हुआ करता था. डीएसपी ने अपने बैचमेट मनीष को रेस्क्यू कराया और स्वर्ग सदन में रहने की व्यवस्था की. मनीष की हालत में अब धीरे-धीरे सुधार आ रहा है.

WATCH LIVE TV

Trending news