मध्य प्रदेश: अदालत ने केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री अनिल माधव के मौत से जुड़ी याचिका की खारिज
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मध्य प्रदेश: अदालत ने केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री अनिल माधव के मौत से जुड़ी याचिका की खारिज

 मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री अनिल माधव दवे की मौत के हालात को संदिग्ध बताते हुए मामले की न्यायिक जांच की गुहार की गयी थी. 

 युगलपीठ ने अपने विस्तृत फैसले में कहा कि भट्टाचार्य की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के तय पैमानों पर खरी नहीं उतरती..(फाइल फोटो)

इंदौर: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री अनिल माधव दवे की मौत के हालात को संदिग्ध बताते हुए मामले की न्यायिक जांच की गुहार की गयी थी. इसके साथ ही, अदालत ने याचिकाकर्ता पर सख्त टिप्पणी की है कि केवल समाचार पत्रों की रपटों के बूते उसकी गुहार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. गौरतलब है कि दिल का दौरा पड़ने से दवे का दिल्ली में पिछले साल 18 मई को निधन हो गया था.

  1. दवे का दिल्ली में पिछले साल 18 मई को निधन हो गया था
  2. अदालत ने कहा कि रपटों के आधार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता
  3. मौत के हालात को संदिग्ध बताते हुए मामले की न्यायिक जांच की गुहार की गयी थी

हाई कोर्ट की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति पीके जायसवाल और न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह ने स्थानीय वकील और सामाजिक कार्यकर्ता तपन भट्टाचार्य की जनहित याचिका को खारिज करने का निर्णय 15 फरवरी को सुनाया.  युगलपीठ ने अपने विस्तृत फैसले में कहा कि भट्टाचार्य की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के तय पैमानों पर खरी नहीं उतरती. केवल समाचार पत्रों की रपटों पर आधारित इस याचिका के बूते मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.

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अदालत ने कड़े लहजे में कहा कि याचिकाकर्ता ने दवे की मौत के संबंध में अपनी दलीलों के पक्ष में न तो जरूरी आधार सामग्री पीठ के सामने पेश की, न ही मामले की तथ्यात्मक वस्तुस्थिति जांचने के लिये कोई प्रयास किया. इस सिलसिले में कानूनी स्थिति की पूरी तरह उपेक्षा की गयी. युगल पीठ ने कहा, "हम यह टिप्पणी करने को विवश हैं कि जनहित से जुड़े मामले में इस तरह के ढीले-ढाले रवैये से कोई भला नहीं होता, बल्कि इससे बुरा ज्यादा होता है.

यह तथ्य इस संदर्भ को और पीड़ायुक्त बनाता है कि याचिकाकर्ता एक वकील है. "भट्टाचार्य की याचिका में दावा किया गया था कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का गुट जीन संवर्धित (जीएम) सरसों की वाणिज्यिक खेती को भारत में मंजूरी देने के लिये केंद्र सरकार पर दबाव बना रहा था. लेकिन तत्कालीन पर्यावरण और वन मंत्री दवे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने जुड़ाव और स्वदेशी विचारधारा के कारण इस अनुमति के पक्ष में नहीं थे. 

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मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन जिला स्‍थित बड़नगर में हुआ था जन्म
अनिल माधव दवे का जन्‍म 6 जुलाई 1956 को मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन जिला स्‍थित बड़नगर में हुआ था. उनकी प्राथमिक शिक्षा गुजरात में संपन्‍न हुई. इसके बाद इंदौर से उन्‍होंने रूरल डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट के साथ कॉमर्स में मास्‍टर्स किया. वह कॉलेज के दिनों में छात्र नेता रहे. पीएम मोदी ने अपनी टीम में जिन्हें जगह दी, उनमें अनिल माधव दवे भी शामिल थे. दवे ने ‘नर्मदा समग्र’ नामक आर्गेनाइजेशन की शुरुआत की थी.

दवे वर्ष 2004 में नर्मदा की पहली हवाई परिक्रमा भी कर चुके हैं.केंद्र में उन्होंने 5 जुलाई 2016 को केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाला था. दिल्ली के एम्स में गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से दवे का निधन हो गया. बताया जा रहा है कि अनिल दवे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे.

मध्यप्रदेश से दो बार राज्यसभा सांसद रहे
मध्यप्रदेश से दो बार राज्यसभा सांसद रहे दवे को भाजपा में त्रुटिहीन सांगठनिक कौशल वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता था. वह लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे. वह वर्ष 2003 में तब सुखिर्यों में आए जब उनकी रणनीति उस समय के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की हार का सबब बनी. इसके बाद मुख्यमंत्री बनी उमा भारती ने दवे को अपना सलाहकार बनाया.

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एनसीसी एयर विंग कैडेट के तौर पर उन्होंने उड़ान संबंधी शुरूआती प्रशिक्षण लिया
एनसीसी एयर विंग कैडेट के तौर पर उन्होंने उड़ान संबंधी शुरूआती प्रशिक्षण लिया और इसमें जीवनभर का जुनून तलाश लिया. वह निजी पायलट लाइसेंस धारक थे और एक बार उन्होंने नर्मदा के तट के आसपास 18 घंटे तक सेसना विमान उड़ाया था. राज्यसभा सांसद के तौर पर वह ‘ग्लोबल वार्मिंग एंड क्लाइमेट चेंज’ के मुद्दे पर बने संसदीय मंच के सदस्य रहे.

साहित्य में गहरी रूचि थी
इंदौर के गुजराती कॉलेज से कॉमर्स में परास्नातक करने वाले दवे की साहित्य में गहरी रूचि थी और उन्होंने कई किताबें भी लिखीं. दवे का जन्म मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला स्थित बारनगर में छह जुलाई 1956 को हुआ था. उनकी माता का नाम पुष्पा और पिता का नाम माधव दवे था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विरासत उन्हें अपने दादा दादासाहेब दवे से मिली थी. उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आरएसएस का प्रचारक बनने का फैसला किया. वह वर्षों तक संघ के समूहों के बीच बड़े हुए. वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें भाजपा में शामिल किया गया.

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दवे पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार थे
दवे पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार थे और वर्ष 2003, 2008 और 2013 में विधानसभा चुनाव के दौरान और वर्ष 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख रहे. उन्हें बूथ स्तरीय प्रबंधन एवं नियोजन के लिए जाना जाता था. दवे को वर्ष 2009 में राज्यसभा का सदस्य चुना गया. वह विभिन्न समितियों में शामिल रहे और भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2013 पर बनी प्रवर समिति के अध्यक्ष भी रहे. दवे ने भोपाल में वैश्विक हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया था. उन्होंने सिंहस्थ कुंभ मेला के अवसर पर उज्जैन में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था.

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