क्या है कब्ज़ा मुक्ति प्रोजेक्ट? जिसके तहत इंदौर में 1500 घरों पर चलेगा प्रशासन का बुलडोजर
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क्या है कब्ज़ा मुक्ति प्रोजेक्ट? जिसके तहत इंदौर में 1500 घरों पर चलेगा प्रशासन का बुलडोजर

Simhastha 2028: इंदौर प्रशासन ने सिंहस्थ 2028 से पहले क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त करने के लिए कान्ह और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्र से 1500 कच्चे मकानों को हटाने का फैसला किया है.

Simhastha 2028

Simhastha Kumbh 2028: इंदौर की कान्ह नदी और सरस्वती नदी की सफाई जारी है. अब इन नदियों से करीब 1500 कब्जे कर बनाए गए अवैध घर भी हटाए जाएंगे. सिंहस्थ प्रोजेक्ट के तहत यह कब्जे हटाए जाएंगे. बता दें कि इन घरों को नोटिस भी दे दिए गए हैं और बारिश के बाद इन घरों पर कार्रवाई होगी. इंदौर प्रशासन ने सिंहस्थ 2028 से पहले क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त करने के लिए कान्ह और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्र से 1500 कच्चे मकानों को हटाने का फैसला किया है.

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कब्जा मुक्ति प्रोजेक्ट
बता दें कि सिंहस्थ प्रोजेक्ट के तहत यह कब्जा मुक्ति प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. जिसके चलते इंदौर की कान्ह नदी और सरस्वती नदी में कुल 1500 अतिक्रमण चिन्हित किए गए हैं. वहीं, इन चिन्हित अतिक्रमण के कच्चे मकानों को चिन्हित कर उन्हें नोटिस भी भेज दिए गए हैं, लेकिन बारिश के चलते इसमें देरी हो रही है और इन्हें जल्दी स्थानांतरित भी कर दिया जाएगा.

प्रशासनिक निर्देश 
दरअसल, सिंहस्थ 2028 से पहले क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त करने के लिए इंदौर प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है. प्रशासन ने कान्ह और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में 1500 कच्चे मकानों को अतिक्रमण के रूप में चिन्हित कर उन्हें हटाने का फैसला किया है. यह अभियान राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के निर्देशों के तहत शुरू किया गया है. इस प्रक्रिया में शामिल अतिक्रमणकर्ताओं को नोटिस भी दिए गए हैं. हालांकि, बारिश के कारण इन्हें स्थानांतरित करने में देरी हो सकती है, लेकिन अगले पांच-दस दिनों में यह प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है.

क्षिप्रा नदी का महत्व
बता दें कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य क्षिप्रा नदी को साफ और सुरक्षित बनाना है, जो हर 12 साल में उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है. प्रशासन ने इस परियोजना के लिए 600 करोड़ रुपये की लागत का खाका तैयार किया है, जो इंदौर और उज्जैन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.

रिपोर्ट: शिव मोहन शर्मा (इंदौर)

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