बेटी की मौत ने झकझोंरा, रिटायर्ड बैंकर ने NEET किया पास, बनेंगे MBBS डॉक्‍टर
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बेटी की मौत ने झकझोंरा, रिटायर्ड बैंकर ने NEET किया पास, बनेंगे MBBS डॉक्‍टर

जय प्रधान का कहना हैं कि मुझे एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए बड़ी बेटी ने ही सबसे ज्यादा प्रेरित किया था.

जय किशोर प्रधान.

भुवनेश्वर: ओडिशा के 64 साल के एक रिटायर्ड बैंककर्मी व्यक्ति ने अपनी बेटियों का सपना पूरा करने के लिए मेडिकल की पढ़ाई कर रहे है. तमाम बाधाओं के बावजूद इस शख्स ने अपने सपने को पूरा किया और 64 साल की उम्र में ओडिशा के बुर्ला स्थित वीर सुरेंद्र साई इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेंस ऐंड रिसर्च (विमसार) में में प्रवेश लिया है. हम बात कर रहें ओडिशा के जय किशोर प्रधान की जिनकी कहानी किसी मोटिवेशन से कम नहीं है.

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पहली बार में फेल हुए थे
बरगढ़ जिले के अट्टाबिरा निवासी जय किशोर प्रधान ने बताया कि वह नए करियर को आजमाना चाहते थे. उन्होंने बताया कि साल 1974-75 में आईएससी (साइंस से 12वीं) करने के बाद मेडिकल एंट्रेस एग्जाम में परीक्षा दी थी लेकिन वह फेल हो गए थे. उस समय मेडिकल की तैयारी में एक साल और गंवाने के बजाय उन्होंने आगे की पढ़ाई करना सही समझा. उन्होंने भौतिक विज्ञान ऑनर्स के साथ स्नातक किया और फिर 1983 स्टेट बैंक में नौकरी में लग गए.

रिटायरमेंट के बाद किया NEET क्लियर
जय प्रधान बताते है हालांकि मैंने मेडिकल में करियर बनाने का सपना देखना नहीं छोड़ा था. 2016 में रिटायर होने के बाद मैंने फिर NEET की तैयारी की और मैं इस बार प्रवेश परीक्षा में बैठा और सफल हो गया. 

बेटी ने किया प्ररित
जय प्रधान की दो बेटियां भी है. दोनों बेटियां डेंटल साइंस की परीक्षा पास कर गई थी, लेकिन एक हादसे ने उनकी बड़ी बेटी को उनसे छीन लिया. उन्होंने कहा मुझे एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए बड़ी बेटी ने ही सबसे ज्यादा प्रेरित किया था. आज वह मेरे साथ होती, तो वही सबसे खुश होती. 

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिया मौका
आपको बता दें कि जय प्रधान शारीरिक रूप से दिव्यांग है. उन्होंने बताया कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपनै फैसले में 25 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को भी नीट में शामिल होने की अनुमति दी थी. जिसके बाद विमसार में उन्हें दाखिला लेने में मदद मिली.

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