कमलनाथ सरकार के अफसर नियाज खान का ट्वीट, 'मॉबलिचिंग के डर से नया नाम ढूंढ रहा हूं'
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कमलनाथ सरकार के अफसर नियाज खान का ट्वीट, 'मॉबलिचिंग के डर से नया नाम ढूंढ रहा हूं'

नियाज़ खान ने लिखा कि वह अपनी नई पुस्तक के लिए खुद का नया नाम ढूंढ रहे हैं, ताकि मुस्लिम होने की पहचान छिपाई जा सके और नफरत की तलवार से खुद को बचा सकें. नियाज़ खान मध्यप्रदेश सरकार के परिवहन विभाग में पदस्थ हैं.

नियाज़ खान मध्यप्रदेश सरकार के परिवहन विभाग में पदस्थ हैं. photo: @saifasa

भोपाल: मध्यप्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नियाज अहमद खान एक बार फिर सुर्खियों में हैं. नियाज खान ने अपने मुस्लिम होने की पीड़ा सोशल मीडिया के जरिए जाहिर की है. शनिवार को ट्विटर पर नियाज़ खान ने लिखा कि वह अपनी नई पुस्तक के लिए खुद का नया नाम ढूंढ रहे हैं, ताकि मुस्लिम होने की पहचान छिपाई जा सके और नफरत की तलवार से खुद को बचा सकें. नियाज़ खान मध्यप्रदेश सरकार के परिवहन विभाग में पदस्थ हैं.

शनिवार को उन्होंने एक के बाद एक चार ट्वीट किए. उन्होंने लिखा कि पिछले 6 महीने से अपनी पुस्तक में छापने के लिए खुद का नया नाम तलाश रहे हैं. ताकि मैं अपनी मुस्लिम पहचान छिपा सकूं. खुद को नफरत की तलवार से बचाने के लिए यह जरूरी है. मेरा नया नाम मुझे हिंसक भीड़ से बचाएगा. अगर मेरे पास टोपी कुर्ता और दाढ़ी नहीं होगी तो मैं भीड़ को अपना नकली नाम बता कर आसानी से बच जाऊंगा. हालांकि मेरे भाई ने अगर पारंपरिक कपड़े पहने हों तो वह बहुत ही खतरनाक स्थिति में है. क्योंकि कोई भी संस्था हमें बचाने में सक्षम नहीं है. इसलिए बेहतर होगा कि हम अपना नाम बदल लें.

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नियाज खान ने मुस्लिम अभिनेताओं को भी दी नाम बदलने की सलाह
अपने अगले ट्वीट में नियाज़ खान ने बॉलीवुड के मुस्लिम अभिनेताओं को भी सलाह दी है कि वह अपना नाम बदल लें. नियाज़ खान ने लिखा है कि उनके समुदाय से जुड़े बॉलीवुड एक्टर भी अपनी फिल्मों को बचाने के लिए नाम बदल लें. अब तो टॉप स्टार्स की भी फिल्में फ्लॉप होने लगी हैं. उन्हें इसका मतलब समझना चाहिए.

नियाज खान अबू सलेम पर लिख चुके हैं किताब
नियाज खान इससे पहले अपराधी अबू सलेम पर भी किताब लिख चुके हैं. किताब लिखने के लिए उन्होंने अबू सलेम के साथ जेल में रहने की इच्छा भी जताई थी. हालांकि उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली थी. वहीं इसी साल जनवरी में भी उन्होंने खुद के मुसलमान होने की पीड़ा ट्विटर पर लिखी थी. नियाज खान ने लिखा था की खान सरनेम भूत की तरह उनके पीछे पड़ा है. इसकी वजह से मुझे कई बार प्रताड़ित होना पड़ा है. दरअसल इसके जरिए नियाज खान ने अपने सीनियर अफसर की प्रताड़ना का दर्द सबके सामने रखा था और लिखा था कि मुसलमान होने के कारण उन्हें भेदभाव का शिकार होना पड़ता है.

हालांकि कांग्रेस सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने इसे लोकप्रियता पाने का हथकंडा बताया है. पीसी शर्मा ने कहा देश में खान नाम के लोग बहुत मजबूत हैं और देश का नाम कर रहे हैं. दूसरी तरफ मप्र सरकार के प्रशासनिक अधिकारी नियाज़ अहमद खान के बयान से राजनीतिक जंग छिड़ गई है. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा यही वे लोग हैं जो "पेशेवर निराशावादी" हैं. समाज में भय व भ्रम का वातावरण बनाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं. ये घोर पेशेवर निराशावादी जमात का हिस्सा हैं, जिनका जीवन समृद्ध व यशपूर्ण है, जो इसी समाज ने दिया अब उसे बनाये रखने के लिए भी इसी समाज को लांछित कर रहे हैं.

वहीं कांग्रेस ने भी नियाज़ अहमद के बयान पर आपत्ति जताई है. कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा नियाज़ एक अधिकारी हैं और उन्हें ऐसे बयान नही देना चाहिए, जिससे बिखराव हो. उन्हें खुद ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए. जब देश के प्रधानमंत्री इन घटनाओं पर खेद व्यक्त कर कड़ी कार्यवाही की बात कर रहे हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ इस तरह की मॉब लिंचिंग की घटनाओं की निंदा करते हैं और सरकार अब कठोर कानून बना रही है. ऐसे में नियाज़ खान सर्विस रूल्स से हटकर ऐसी बात कर रहे है यह ठीक नही है.

जनसम्पर्क मंत्री पीसी शर्मा के पब्लिसिटी स्टंट कहने के सवाल पर नियाज खान ने कहा मुझे मेरी बात कहने का हक है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है. यदि मेरे सरनेम खान नहीं होता तो पिछले 18 सालों के करियर में मेरे दर्जनों तबादले नहीं होते. परेशान नहीं होना पड़ता. यही कारण है कि मैं इसे भुगत रहा हूं.

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