बदनावर विधानसभा सीट: यहां देखें बीजेपी प्रत्याशी के जीत के कारण, क्यों हुई कांग्रेस की हार
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बदनावर विधानसभा सीट: यहां देखें बीजेपी प्रत्याशी के जीत के कारण, क्यों हुई कांग्रेस की हार

बदनावर सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने जीत दर्ज की है. इस खबर में बीजेपी की जीत के कारण और कांग्रेस के कमल पटेल की हार के कारण पढ़िए...

डिजाइन फोटो.

भोपाल: उपचुनाव में बदनावर विधानसभा सीट बीजेपी के खाते में गई है. बदनावर से बीजेपी उम्मीदवार मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की है. उन्होंने कांग्रेस के कमल पटेल को 32,133 से हराया है. ये सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के इस्तीफे से खाली हुई थी, दत्तीगांव शिवराज सरकार में मंत्री भी हैं. मंत्री बने रहने के लिए उन्हें ये चुनाव जीतना जरूरी था, लिहाजा उन्होंने 32,133 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी को करारी शिकश्त दी है. 

राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के जीत के कारण

  1. बदनावर बीजेपी का गढ़ है. यहां राजपूत और पाटीदार समाज के लोग हमेशा निर्णायक भूमिका में रहते हैं. दत्तीगांव ने मंत्री बनते ही करोड़ों के विकास कार्यो की सौगात दी. क्षेत्र में नर्मदा का आगमन भी लोगों के लिए और दत्तीगांव के लिए फायदेमंद रहा, शिवराज सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया का चुनाव प्रचार और दत्तीगांव का उच्च शिक्षित होना भी जीत का कारण माना जा रहा है.
  2. दत्तीगांव के चुनाव प्रचार की कमान बीजेपी के बड़े नेताओं ने संभाली. इसके अलावा कृष्णमुरारी मोघे, कविता पाटीदार सहित RSS समेत दो दर्जन बड़े नेता चुनाव में लगे रहे. बीजेपी में शामिल हुए दत्तीगांव का खुलकर विरोध नहीं हुआ. बीजेपी सपोटेज रोकने में कामयाब रही.
  3. दत्तीगांव विदेश से नौकरी छोड़ राजनीति में आये. वर्षो तक दत्तीगांव के पिता ने सेवा की, फिर दत्तीगांव ने भी लगातार 22 वर्षों से गाँव-गाँव में पकड़, मतदाताओं से लगातार सतत संपर्क रखा, क्षेत्र में विकास कार्य, बड़ी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का भाजपा में शामिल होना. किसान कर्ज माफी से नाराज किसानों का साथ.
  4. बीजेपी का मजबूत बूथ मैनेजमेंट, एन वक्त पर कांग्रेस उम्मीदवार के टिकिट का परिवर्तन भी जीत की वजह.

कांग्रेस प्रत्याशी की हार के तीन प्रमुख कारण

  1. कमल सिंह पटेल की हार की प्रमुख वजह भितरघात, कांग्रेस प्रत्याशी का पूरी विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क भी नहीं हो पाना, अधूरी कर्जमाफी से किसान नाराज.
  2. आदिवासी समाज का वोट बैंक 60 हजार हैं, यह व्यक्तिगत रूप से राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के  पक्ष में रहता है.
  3. बीजेपी प्रत्याशी युवा और कांग्रेस प्रत्याशी का उम्र दराज होना, अंतिम समय मे टिकिट मिलना. बूथ मैनेजमेंट नहीं होना.
  4. भाजपा के द्वारा कमलनाथ सरकार के विरोध में जमकर प्रचार, कमल सिंह पटेल को अंतिम समय मे परिवर्तित टिकिट मिला.
  5. स्थानीय नेताओं ने अंदरखाने नुकसान पहुंचाया. चुनाव के दौरान पूरे क्षेत्र में नहीं पहुंच पाए, जिस कारण मतदाताओं से सीधा संपर्क नहीं हो पाया.

सिंधिया की बगावत के साथ बीजेपी में हुए थे शामिल
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने यहां बीजेपी के भंवर सिंह शेखावत को हराया था, लेकिन सिंधिया की बगावत के साथ राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव भी बीजेपी में शामिल हो गए और उनके विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद यहां उपचुनाव की स्थिति बनी, जिसमें उन्होंने बीजेपी का झंटा बुलंद किया है. बदनावर विधानसभा क्षेत्र में बीते तीन नंवबर को बंपर 81.26 फीसदी वोट पड़े थे. 

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