दतिया: कांग्रेस-बीजेपी की लड़ाई में बसपा की एंट्री से मुकाबला त्रिकोणीय हुआ
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh469968

दतिया: कांग्रेस-बीजेपी की लड़ाई में बसपा की एंट्री से मुकाबला त्रिकोणीय हुआ

2008 के विधानसभा चुनावों से पहले दतिया विधानसभा सीट पर कांग्रेस का बोलबाला था.

फाइल फोटो

भोपाल: मध्‍य प्रदेश की दतिया सीट इसलिए खास है, क्योंकि यहां से एक बार फिर सीएम शिवराज सिंह करीबी माने जाने वाले नरोत्तम मिश्रा ताल ठोक रहे हैं. इससे पहले 2 चुनावों में दतिया की जनता ने नरोत्तम मिश्रा पर भरोसा दिखाया है. हालांकि परंपरागत रूप से कांग्रेस और बीजेपी की सीधी लड़ाई में बसपा के मुकाबले में उतरने से मामला त्रिकोणीय हो गया है. दतिया विधानसभा सीट पर 5 लाख 32 हजार 305 मतदाता हैं, इनमें 2 लाख 86 हजार 507 पुरुष,2 लाख 45 हजार 779 महिला व 4 हजार 191 दिव्यांग मतदाता शामिल हैं.

ग्रामीण क्षेत्र में आती है दतिया विधानसभा सीट
इस विधानसभा सीट की कुल आबादी 2,88, 152 है. इस विधानसभा की कुल आबादी का 62 फीसदी हिस्सा ग्रामीण है. जबकि मात्र 38 फीसदी हिस्सा शहरी आबादी है. इस सीट पर धर्म के अनुसार मतदाताओं की बात करें तो यहां पर 94 फीसदी आबादी हिंदू हैं, बाकि 6 फीसदी अन्य जाति के मतदाता है.

1951 में मिली थी कांग्रेस को जीत
2008 के विधानसभा चुनावों से पहले दतिया विधानसभा सीट पर कांग्रेस का बोलबाला था. आजादी के बाद पहली बार 1951 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के नेता श्याम सुंदर दास को भारी मतों से जीत मिली. 1951 से 1961 तक कांग्रेस के सत्ता में रहने के बाद परिवर्तन 2008 तक जारी रहा.

14 बार हुए विधानसभा चुनाव
अंग्रेजी हुकूमत से भारत की आजादी के बाद दतिया विधानसभा सीट पर 14 बार चुनाव हुए हैं. इन 14 चुनावों में से 8 कांग्रेस के खाते में गई है, जबकि 3 बार बीजेपी ने अपना परचम लहराया है. दतिया सीट का इतिहास रहा है कि यहां कि जनता ने किसी भी एक पार्टी को कई बार सत्ता में नहीं आने दिया है. 8 बार कांग्रेस, 2 बार जनसंघ, 3 बार भाजपा के साथ 1 बार सपा को भी जिताया है. इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला बताया जा रहा है. हालांकि दतिया में पहली बार बसपा किस्मत आजमां रही हैं. 

Trending news