28 सीटों का Analysis: मेहगांव में हरिजन और क्षत्रिय वोटर्स तय करते हैं कौन बनेगा विधायक
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28 सीटों का Analysis: मेहगांव में हरिजन और क्षत्रिय वोटर्स तय करते हैं कौन बनेगा विधायक

अनुसुचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट ब्राह्मण जाति के एक चौथाई वोटर्स हैं, लेकिन आरक्षित होने की वजह उन्हें इस सीट में ज्यादा रूचि नहीं.

28 सीटों का Analysis: मेहगांव में हरिजन और क्षत्रिय वोटर्स तय करते हैं कौन बनेगा विधायक
भोपाल: मध्यप्रदेश में उपचुनाव को एलान हो गया है. राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है. ग्वालियर चंबल इलाके में सबसे ज्यादा 16 सीट हैं इन पर सभी की नजर है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इन उपचुनावों में स्थानीय मुद्दे, जातियां, लॉयल वोटर्स, नेताओं की पकड़ सभी की परीक्षा होगी.हम आपको इन्हीं बिंदुओं के आधार पर एक-एक सीट का हाल बता रहे है. आज की सीट है मेहगांव सीट...
 
                सीट- मेहगांव विधानसभा
विधानसभा सीट नं. 12                     -   मेहगांव, जिला भिंड
जनसंख्या                                        -1,98,343 *(2011)                                     
मतदाता                                          -  2,55,008.               
महिला वोटर-1,12,171                    पुरुष वोटर-1,42,836              
पूर्व विधायक                                  - ओपीएस भदौरिया (कांग्रेस)       
 
भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा सीट के वोटर्स को हर बार के चुनाव में कई उम्मीदवार देखने को मिलते हैं. यहां तक कि मेहगांव की जनता ने भी कभी किसी एक पार्टी पर अपना भरोसा नहीं दिखाया है. वहां के ग्रामिण हर बार विकास की खोज में बंटे हुए ही दिखाई देते हैं. गुर्जर, बघेल, भदौरिया, ब्राह्मण, ठाकुर और भी अनेक प्रकार के वर्गों में बिखरे मेहगांव में जातिगत चुनाव बहुत हद तक देखने को मिलता है. और आने वाले चुनाव में भी जातिगत समीकरण देखने को मिलने वाला है.
         
प्रमुख जातियां / उपजातियां   
जातियां -  हरिजन, ब्राह्मण, क्षत्रिय.
 
हरिजन - परिहार, बरैया, नरवरिया.  
ब्राह्मण - सनात, शुक्ला, चतुर्वेदी.  
क्षत्रिय  - भदौरिया, तोमर, ठाकुर.
ओबीसी   - गुर्जर, मुस्लिम, कुश्वाह.  
 
बरैया को मिला है हरिजन वर्ग का साथ  
मेहगांव में परिहार, बरैया, नरवरिया और अन्य हरिजन वर्ग मिलकर लगभग 75 हजार से अधिक वोटर होते है. जो इस ग्रामीण इलाके में निर्णायक साबित होते हैं.
नेता - फूल सिंह बरैया
पारंपरिक रुप से खेती और मजदुरी कर के अपने परिवार का पालन करने वाला ये मेहनती वर्ग, पारंपरिक रुप से कांग्रेस पार्टी में अपने हितों को  देखता है. जिस कारण भी बरैया पर उनका विश्वास बना हुआ है.
 
मुद्दे- यहाँ के लोगो की ज़रूरतों में पेयजल, तकनीकी शिक्षा और रोज़गार सबसे अहम मुद्दा बना हुआ है. ग्रामीण बहुल इस विधानसभा क्षेत्र के किसानों के लिए अपनी फसल को जंगली जानवरों और कीट-पतंगों से बचाना भी एक चुनौती है.  
    
सनात, भदौरिया और तोमर बाहुल्य है इलाक़ा
मेंहगांव की अनारक्षित विधानसभा सीट पर सनात ब्राह्मण के 52000 वोटर हैं, इसके अलावा यहां तोमर और भदौरिया मिलकर 50000 से कुछ अधिक वोटर बनाते हैं. जो मेंहगांव की बाहुल्य जनता और वोटर भी हैं.
 
मुद्दे - आधुनिक शिक्षा के अभाव में यहां के मूल निवासियों को है रोज़गार की खोज.
नेता - कोई नहीं 
 
बाकी वर्गों का, नहीं है एक दल पर झुकाव
गुर्जर, कुश्वाह, व्यापारी और शेष वर्ग मिलकर यहां 30 से 35 हजार के लगभग मतदाता होते है, जरुरतें तो इनकी भी जो आपस में बंटकर अलग-अलग उम्मीदवारों को करते है मतदान. 
 
युवा वर्ग को चाहिए खेल मैदान 
मेहगांव के ढाई लाख मतदाताओं में आते हैं 45 प्रतिशत युवा, जिनकी महत्त्वकांक्षा सेना में भर्ती होना है. लेकिन साधनों के अभाव में करना पड़ता है बड़े शहरों में प्रवास. खेल परिसर का न होना उनकी प्रतिभा को सही मुकाम तक नहीं पहुंचा पाता है.
 
 
पिछले 3 चुनावों में क्या रहा है समीकरण?
2018 विधानसभा चुनाव में कुल 1,62,734 लोगों ने मतदान किया था, जो कुल वोटों का 63.9 प्रतिशत था. कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया ने 37.9 प्रतिशत वोट हासिल कर बीजेपी के राकेश शुक्ला को 25814 वोटों से हराया था, जिन्हें 22.01 प्रतिशत वोट मिले थे. 
 
2013 विधानसभा चुनाव में 1,41,068 लोगों ने मतदान कर 61.67 प्रतिशत वोट किये थे. यहां बीजेपी के मुकेश सिंह चतुर्वेदी ने 21.08 प्रतिशत वोट हासिल कर कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया को हराया था, जिन्हें चुनाव में 20.17 प्रतिशत मिले थे. दोनों के बीच जीत का अंतर महज 1273 वोटों का ही था.
 
2008 विधानसभा चुनाव में 1,26,617 लोगों ने 60.12 प्रतिशत वोट किए थे. तब भाजपा के राकेश शुक्ला ने 26.56 प्रतिशत वोट हासिल जीत प्राप्त की थी. तो वहीं रासमद, कांग्रेस और बसपा नेताओं ने बीजेपी उम्मीदवार को कांटे की टक्कर दी थी.
 
 
कांग्रेस-बीजेपी की ताकत और मुश्किलें
कांग्रेस की ताकत: बाह्ममण प्रत्याशी को उतारने की तैयारी में कांग्रेस. अब इस सीट पर पर कांग्रेस भी अपना जाति का कार्ड खेलेगी.
कांग्रेस की मुश्किलेंः टिकट को लेकर मशक्कत करना पड़ेगी. चौधरी राकेश सिंह के नाम पर पार्टी में एक राय नही.
 
बीजेपी की ताकतः इस सीट पर प्रत्याशी की जाति का बड़ा वोट बैंक है. यहां बीजेपी जाति का कार्ड खेलेगी. सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र है बीजेपी की ताकत है.
बीजेपी की मुश्किलेंः सिंधिया गुट के ओपीएस नेता के आ जाने से बीजेपी के कई नेता नाराज है.
 
अब कौन सा चेहरा हो सकता है सामने?
भाजपा -ओपीएस भदौरिया  - कांग्रेस से पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए पिछले भदौरिया को कांग्रेस - बसपा की टक्कर से फायदा मिल सकता है. जो भाजपा के हित में हो सकता है.
 
कांग्रेस -फूल सिंह बरैया -  कांग्रेस की ओर से राज्यसभा चुनाव लड़ने वाले फूल सिंह बरैया को मेंहगाँव के निश्चित वर्ग का भरपूर साथ होने से उन्हें कांग्रेस की ओर से सबसे मजबूत उम्मीदवार के रुप में देखा जा रहा है.
 
बसपा - योगेश मेघसिंह नरवरिया- बसपा ने आने वाले उपचुनाव में 8 सीटों पर अपने उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया है. मेहगांव सीट पर उन्होनें योगेश मेघसिंह नरवरिया को अपना उम्मीदवार बनाया है.

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