MP: लकड़ी की बल्ली पर टिकी है सरकारी स्कूल की छत, मौत के साए में पढ़ रही हैं छात्राएं
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MP: लकड़ी की बल्ली पर टिकी है सरकारी स्कूल की छत, मौत के साए में पढ़ रही हैं छात्राएं

जिले के गैरतगंज स्थित शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लकड़ी की बल्ली पर टिकी है. वहीं प्रैक्टिकल लेब में पानी भरा है और स्कूल में शिक्षकों की भी कमी है.

पानी गिरने से शिक्षण कार्य भी प्रभावित होता है और स्कूल आने वाली छात्राओं की संख्या भी घट जाती है.

रायसेनः मध्य प्रदेश सरकार अक्सर ही प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर जोर देने और इसे बेहतर बनाने की बात कहती रही है, लेकिन बावजूद इसके जब सरकारी स्कूल की व्यवस्थाओं पर नजर जाती है तो सरकार के यह दावे खोखले साबित होते दिखाई देते हैं. राज्य के रायसेन जिले के गैरतगंज स्थित शासकीय कन्या शाला की हालत देखकर भी यही साबित होता है कि सरकार की स्कूली छात्राओं की सुरक्षा और शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं. दरअसल, जिले के गैरतगंज स्थित शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लकड़ी की बल्ली पर टिकी है. वहीं प्रैक्टिकल लेब में पानी भरा है और स्कूल में शिक्षकों की भी कमी है, जिसके चलते यह स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रही है. 

यह स्कूल प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी के गृह क्षेत्र में भी आता है और विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत भी. स्थिति यह है कि बरसात में छत में पड़ी दरारों से पानी टपकता रहता है. इस कारण पढ़ाई तो प्रभावित होती ही है. साथ ही इन छात्रों के ऊपर स्कूल की छत गिरने का खतरा भी मंडराता रहता है. अभी कुछ दिन पहले ही गिरते पानी के कारण छत का एक हिस्सा गिर गया था. गनीमत है उस समय कोई छात्रा वहां मौजूद नहीं थी.

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आपको बता दें कि इस स्कूल में कक्षा 9 से लेकर कक्षा 12 तक की क्लास संचालित होती हैं, जिसमें 576 छात्राएं अध्ययनरत हैं. इस स्कूल का भवन 70 साल पुराना है. वर्षों पुराने इस भवन की छत और दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं और बरसात में पानी टपकता है. पानी गिरने से शिक्षण कार्य भी प्रभावित होता है और स्कूल आने वाली छात्राओं की संख्या भी घट जाती है. जर्जर हो चुके इस स्कूल के गिरने का भी खतरा बना रहता है.

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सरकारें भी शिक्षा व्यवस्थाओं को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करती आई है, लेकिन सच में ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है. छात्र छात्राओं को जर्जर भवन में बैठकर शिक्षा अर्जित करना पड़ रही है. स्थिति यह है कि भवन कब धराशाई हो जाए और कोई हताहत हो जाए इसकी जानकारी होने के बावजूद सरकारें इन स्कूलों के पुनर्निमाण पर कोई ध्यान नहीं दे रही है.

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