खराब सड़कों के कारण मौत के मामले में टॉप-3 में मध्य प्रदेश, यूपी अव्वल
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खराब सड़कों के कारण मौत के मामले में टॉप-3 में मध्य प्रदेश, यूपी अव्वल

रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में 2013 से 2017 के बीच 1385 लोगों की जान जाने का कारण सड़कों के गड्ढे रहे हैं. बता दें देश भर में सड़क के गडढों की वजह से होने वाली कुल मौतों का यह 9.3 फीसदी हिस्सा है.

फाइल फोटो

अजय शर्मा/भोपालः खराब सड़कों और गड्ढों के कारण होने वाली मौतों में मध्य प्रदेश को देश भर के राज्यों में टॉप-3 में जगह मिली है. सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी द्वारा सड़कों पर होने वाले गड्ढों से होने वाली मौतों पर आई हालिया रिपोर्ट में मध्य प्रदेश को टॉप-3 में जगह दी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में 2013 से 2017 के बीच 1385 लोगों की जान जाने का कारण सड़कों के गड्ढे रहे हैं. बता दें देश भर में सड़क के गडढों की वजह से होने वाली कुल मौतों का यह 9.3 फीसदी हिस्सा है. बता दें कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की सड़कों को अमेरिका की सड़कों से बेहतर बताया था. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी की यह रिपोर्ट कुछ और ही साबित कर रही है. वहीं सड़क हादसे में होने वाली मौतों पर मुआवजे को भी कमेटी ने व्यक्ति का अधिकार बताया है.

 सबसे ज्यादा 4415 मौतें उत्तरप्रदेश में
बता दें देशभर में गड्ढों के कारण हुई कुल मौत में सबसे ज्यादा 4415 मौतें उत्तरप्रदेश में हुई हैं. वहीं 2136 मौतों के साथ महाराष्ट्र सड़कों पर गड्ढों की वजह से होने वाली मौतों पर दूसरे नंबर पर रहा. सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी ने सड़क के गड्ढों से हो रही मौतों को गंभीरता से लेते हुए इस मामले में 4 सितंबर को परिवहन, नगरीय विकास विभाग और पीडब्ल्यूडी विभाग के प्रमुख सचिवों को तलब किया है. कमेटी ने इस मामले में गुजरात, बिहार आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल के अफसरों को भी तलब किया है.

पीड़ित परिवार को मुआवजा
बैठक में गड्ढों से होने वाली मौतों को कम करने के अलावा पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की प्रक्रिया पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा. साथ ही इस बात पर भी विचार किया जाएगा कि कैसे सड़कों पर गड्ढे से होने वाली मौतों पर लगाम लगाई जा सके. कमेटी द्वारा मुआवजे के लिए हर राज्य में एक कमेटी के गठन पर भी विमर्श किया जा सकता है. बता दें कमेटी की ओर से 29 अगस्त को भेजे गए पत्र में 20 जुलाई 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अलावा 12 अप्रैल 2018 को दिए गए मुंबई हाईकोर्ट के फैसले का भी जिक्र है. इस पत्र में कहा गया है कि अच्छी सड़कें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति के मौलिक अधिकार के दायरे में आती हैं.

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