यहां रोजाना शाम 7-9 बजे तक बच्चे को पढ़ते हैं. किसी दिन अगर शिक्षक लेट हो जाएं तो बच्चे खुद आकर निश्चित जगह पर बैठ जाते हैं
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नरेंद्र तेनीवाल/धार: प्रदेश के धार में एक निजी कॉलेज में प्रबंधन का काम देखने वाले सुमित चौधरी अपनी नौकरी खत्म होने के बाद गरीब बच्चों को शिक्षा के महत्व को समझाने के साथ साथ मुफ्त शिक्षा देने का एक नेक काम कर रहे है. बच्चों को शिक्षा देने के बारे में सुमित चौधरी का कहना है कि एक बार घूमते हुए उनकी नजर पन्नी बिनते और भीख मांगते इन बच्चों पर पड़ी.
उसके बाद ही अचानक उनके मन में ये विचार आया की क्यों ना इन बच्चों को शिक्षित कर इन्हें सुधारा जाए, बस फिर क्या था उन्होंने 'संस्कार' स्कूल शुरू किया. जिसमें उनके एक दोस्त ने भी इनका साथ दिया. सुमित का कहना है कि पहले इन बच्चों के माता पिता को ढूंढकर उनसे बात की गई, फिर बच्चों को समझाया गया. जिसके बाद यहां पढ़ाई शुरू हो पाई.
आज उनकी ये मेहनत रंग लाई है. यहां रोजाना शाम 7-9 बजे तक वह बच्चों को पढ़ाते हैं. किसी दिन अगर वह लेट हो जाएं तो बच्चे खुद आकर निश्चित जगह पर बैठ जाते हैं. किताबें, पेंसिल, बस्ते के साथ अन्य सुविधा उपलब्ध कराने का काम सेवा भारती संस्थान और सुमित के कुछ मित्र करते हैं, जिससे इन गरीब बच्चों को काफी सहायता मिलती है.
सुमित का कहना है कि आगे भी वे यह काम जारी रखेंगे. पिछले दो सालों से चलने वाली इस पाठशाला में पढ़ाई-लिखाई करते बच्चे बेहद खुश नजर आते हैं. इस स्कूल में आने के पहले बच्चे कचरे के ढेर में पॉलीथिन ढूंढना, भीख मांगना, प्लास्टिक की बोतल ढूंढना जैसे कामों में अपना समय देते थे, लेकिन आज ये बच्चे एबीसीडी, गिनती, पहाड़े, अल्फाबेट साथ ही फर्राटे से सरस्वती वंदना भी करते हैं.
सुमित ने बताया कि ये बच्चे यहां पढ़कर बेहद खुश हैं. संस्कार स्कूल में शिक्षा लेकर बच्चों का शिक्षित होने का सपना तो पूरा हो रहा है. साथ ही यह बच्चे यहां शिक्षा पाकर बच्चे भविष्य में डॉक्टर, पुलिस और इंजीनियर बनने के सपने भी संजोने लगे हैं.