MP: फिल्म 'पैडमैन' से इस शख्स ने ली प्रेरणा, खुद के साथ 15 महिलाओं को दिया रोजगार
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MP: फिल्म 'पैडमैन' से इस शख्स ने ली प्रेरणा, खुद के साथ 15 महिलाओं को दिया रोजगार

पोस्ट ग्रेजुएट भूपेंद्र की माने तो वो पहले किसी अच्छे काम की तलाश में थे. जिससे बिजनेस के साथ-साथ लोगों की मदद भी हो सके. 

भूपेंद्र बताते हैं कि जब उन्होंने ये आइडिया अपने पिता को बताया तो उन्होंने साफ मना कर दिया था.

प्रितेश सारड़ा/नीमच: अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन' से प्रेरणा लेते हुए नीमच के भूपेंद्र खोईवाल ने एक सराहनीय काम की शुरूआत की है. भूपेंद्र अपनी टीम के साथ गांव की महिलाओं को सस्ते और अच्छी क्वालिटी के सेनेटरी नेपकिन दे रहे हैं. भूपेंद्र की टीम खोर गांव में घर-घर जाकर महिलाओं को सेनेटरी नेपकिन देती है. बीते 4 महीने में करीब 24000 पैड बांटे जा चुके हैं. नीमच के खोर गांव में भूपेंद्र खोईवाल महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड बनाने का काम करते हैं. भूपेंद्र का दावा है कि उनके यहां बनने वाले सेनेटरी पैड मार्केट से सस्ते तो हैं ही साथ ही साथ उनसे अच्छी क्वालिटी के भी हैं. भूपेंद्र के इस यूनिट में 15 महिलाएं काम करती हैं. इनके बनाए सेनेटरी पैड किसी मेडिकल या जनरल स्टोर पर नहीं मिलते हैं, बल्कि ये लोग खुद घर-घर जाकर लड़कियों और महिलाओं को सेनेटरी पैड देते हैं. इतना ही नहीं उनका पूरा रिकॉर्ड मोबाइल नंबर के साथ रजिस्टर में दर्ज रखते हैं.

पोस्ट ग्रेजुएट भूपेंद्र की माने तो वो पहले किसी अच्छे काम की तलाश में थे. जिससे बिजनेस के साथ-साथ लोगों की मदद भी हो सके. एक दिन भूपेंद्र ने अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन' देखी, और मन बनाया कि वो महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड बनाने का काम करेंगे. भूपेंद्र बताते हैं कि जब उन्होंने ये आइडिया अपने पिता को बताया तो उन्होंने साफ मना कर दिया. लेकिन ज़िद पर अड़े भूपेंद्र 4 दिनों तक अपने घर नहीं गए और पिता से बात नहीं की तो थक हारकर पिता ने हां कह दिया.

भूपेंद्र ने बताया कि उन्होंने अपने पिता से साढ़े तीन लाख रुपए लिए और सेनेटरी पैड बनाने का एक यूनिट खोर गांव में खोला. भूपेंद्र बताते हैं कि जोश-जोश में सेनेटरी पैड बनाने का यूनिट खोल तो दिया, लेकिन बड़ी समस्या थी इन्हें बेचना. फिर भूपेंद्र ने दिमाग लगाया और अपने यूनिट की दो-तीन महिलाओं को साथ लेकर घर-घर जाकर महिलाओं से गंदे कपड़े से होने वाले संक्रमण (infection) के बारे में चर्चा की. उन्हें इनफेक्शन के खतरे भी बताए. शुरुआती दौर में भूपेंद्र ने कई महिलाओं को मुफ्त सेनेटरी पैड भी दिए.

4 महीने में भूपेंद्र जहां एक ओर अपनी यूनिट में 15 महिलाओं को रोजगार दे चुके हैं. तो वहीं लगभग 24000 सेनेटरी पैड ग्रामीण महिलाओं तक पहुंचा भी चुके हैं. भूपेंद्र का कहना है कि वो 20 रुपए में 8 सेनेटरी पैड का पैक देते हैं. यानि महिलाओं को एक पैड मात्र ढ़ाई रुपये का पड़ता है. भूपेंद्र की माने तो उन्हें एक पैकेट से महज एक रुपए की कमाई होती है. लेकिन कमाई से ज्यादा उनकी कोशिश महिलाओं को गंदे कपड़े से आज़ादी दिलाने में है. खास बात ये है कि सेनेटरी पैड किसी मेडिकल या जनरल स्टोर पर नहीं मिलते, इन्हें बेचने का काम उसी कॉलोनी या बस्ती की कोई महिला करती है, जो पैड खरीदने वाली महिला का पूरा रिकॉर्ड भी मेंटेन रखती हैं.

भूपेंद्र ने ये भी बताया कि उनके सेनेटरी पैड बनाने के काम का लोग मजाक भी उड़ाते हैं. लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, उनका लक्ष्य है कि नीमच जिले की लगभग 3 लाख महिलाओं तक उनके सेनेटरी पैड पहुंचे.

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