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भोपाल: मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारी एक बार फिर 7वें वेतनमान (7th Pay Commission) के एरियर के मुखर हो गए हैं. एरियर न मिलने से नाराज कर्मचारी संगठनों ने सरकारी कामकाज बंद रखा और दफ्तरों में नारेबाजी की. कर्मचारी संगठनों ने सरकार से को उसके वादे याद दिलाए और डीए, 7वें वेतनमान का एरियर समेत लंबित भुगतान देने करने की मांग की.
अपनी मांगों को लेकर सतपुड़ा भवन पर कर्मचारी संगठनों (mp workers association) ने प्रदर्शन के साथ जमकर नारेबाजी और आंदोलन किया. कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना और 5 फीसदी महंगाई भत्ते की मांग की. कुछ जगहों पर कर्मचारी हड़ताल पर भी बैठ गए. इस हड़ताल का बैंक कर्मचारियों ने भी समर्थन किया. ट्रेड यूनियन के आगह्वान पर हुई हड़ताल में 7वें वेतनमान न मिलने और 12 घंटे की शिफ्ट समेत निजीकरण का कर्मचारियों ने विरोध किया.
चंद पैसेवालों वालों की गुलाम बनाना चाहती है सरकार- पासवान
इसी कड़ी में ग्वालियर के फूलबाग पर भी विभिन्न ट्रेड यूनियन के द्वारा धरना प्रदर्शन किया. इसमें ट्रेड यूनियन के साथ-साथ रेलवे, आंगनवाड़ी, बैंक, एलआईसी आदि के कर्मचारी भी शामिल हुए हैं. ग्वालियर में सीटू के प्रदेश पदाधिकारी राम विलास गोस्वामी ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में कोरोना का हवाला देते हुए सरकार ने 44 से अधिक श्रम कानूनों को खत्म कर दिया है. विभिन्न सरकारी और सरकारी संस्थानों का निजीकरण किया जा रहा है. इससे साफ होता है कि आने वाले दिनों में देश का मजदूर चंद पैसे वालों का गुलाम बन कर रह जाएगा. यह सरकार अंग्रेजों के नक्शे कदम पर चल रही है जिसे मजदूर कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.
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कांग्रेस-बीजेपी में होने लगी तू-तू-मैं-मैं की राजनीति
वहीं किसान और कर्मचारी आंदोलनों पर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को घेरने में देर नहीं की. कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा बीजेपी किसान और कर्मचारी विरोधी है. वह सिर्फ घोषणाएं करती है, सुविधाएं नहीं देती है. कांग्रेस के आरोप पर बीजेपी ने भी पलटवार करने में देरी नहीं की. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि किसानों और कर्मचारियों के हित में केवल बीजेपी ने ही निर्णय लिए हैं. जबकि कांग्रेस का काम सिर्फ राजनीति करती रही है.
अभी तक नहीं हुआ एरियर का भुगतान
विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री शिवराज ने कर्मचारियों को त्योहारों का तोहफा दिया था. मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 4.37 लाख कर्मचारियों को 7वें वेतनमान की तीसरी किस्त देने की घोषणा की थी. दिवाली से पहले इसकी 25% राशि कर्मचारियों के खाते में डालने का भी वायदा किया गया था. सरकार ने यह भी कहा था कि आने वाले वीत्तीय वर्ष में पूरे एरियर का भुगतान भी कर दिया जाएगा. लेकिन इस सौगात के बाद भी कर्मचारी खुश नहीं हैं.
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अध्यापकों को भी नहीं मिली छठवें वेतनमान की दो किस्तें
इससे इतर जमीनी हकीकत यह है कि कर्मचारी और अधिकारियों को अब तक सातवें वेतनमान की पहली और दूसरी किश्त नहीं मिली है. वहीं प्रदेश के ढाई लाख अध्यापकों को अब तक छठवें वेतनमान की तीसरी किस्त भी नहीं मिली है. इस वजह से भी अधिकारी-कर्मचारियों में सरकार के प्रति आक्रोश देखने को मिल रहा है. तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने जुलाई 2018 से शिक्षा सेवा कैडर में शामिल कर सातवें वेतनमान देने के निर्देश दिए थे. लेकिन जुलाई 2018 और सितंबर 2019 का एरियर का भुगतान नहीं किया गया.
शिवराज सरकार ने दिया आर्थिक संकट का हवाला
उस वक्त मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा था, ''मैंने पहले ही कहा था कि एरियर और इंक्रीमेंट कुछ समय के लिए रोके गए हैं, लेकिन इसकी एक-एक पाई सभी कर्मचारी भाई-बहनों को दी जाएगी. अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही थी, खजाने में पैसा नहीं था और इसलिए 7वें वेतन आयोग के एरियर की तीसरी किस्त नहीं दी गई थी.''
(भोपाल से संदीप भम्मकर, ग्वालियर से शैलेंद्र सिंह की रिपोर्ट)
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