दरअसल राज्य सरकार ने भोपाल और और इंदौर मेट्रो का पहला फेज 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले पूरा करने का टारगेट रखा है. लेकिन धीमी गति से हो रहे निर्माण कार्य को देखते हुए यह लक्ष्य पूरा करना संभव नहीं दिख रहा.
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हरीश दिवेकर: शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश मेट्रो रेल काॅर्पोरेशन लिमिटेड (MPMRCL) के चीफ इंजीनियर जितेंद्र दुबे को हटा दिया है. उनकी जगह लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर अखिलेश अग्रवाल को एमपीएमआरसीएल की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कुछ दिन पहले मेट्रो रेल का निर्माण कार्य धीमी गति से होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नाराजगी जताई थी. नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह भी मेट्रो प्रोजेक्ट की कछुआ चाल से नाराज थे.
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दरअसल राज्य सरकार ने भोपाल और और इंदौर मेट्रो का पहला फेज 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले पूरा करने का टारगेट रखा है. लेकिन धीमी गति से हो रहे निर्माण कार्य को देखते हुए यह लक्ष्य पूरा करना संभव नहीं दिख रहा. विभागीय मंत्री ने मेट्रो के काम—काज की रफ्तार धीमी होने के पीछे ईएनसी जितेंद्र दुबे की लापरवाही को कारण माना था. अब कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटा दिया गया है. नगरीय प्रशासन मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं.
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मेट्रो रेल बोर्ड की पिछले सप्ताह हुई बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्रवाई के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा था कि जिस अफसर को हटाना है, हटाओ, जिसे लाना है लाओ, लेकिन मेट्रो का काम तेजी से होना चाहिए. जितेंद्र दुबे को राज्य में चल रहे मेट्रो प्रोजेक्ट की कमान 21 अप्रैल 2016 को सौंपी गई थी. लेकिन जिस गति से काम चल रहा था, उससे प्रोजेक्ट के तय समय सीमा में पूरा होने की उम्मीद नहीं थी. उल्टा समय बढ़ने पर प्रोजेक्ट की लागत भी बढ़ेगी.
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मंत्रालय सूत्रों की मानें तो इंदौर मेट्रो रेल के लिए नियुक्त कंसल्टेंट व निर्माण एजेंसी के बीच पिछले कई महीनों से विवाद चल रहा है, जिसे प्रमुख अभियंता जितेंद्र दुबे ने गंभीरता से नहीं लिया. इस वजह से इंदौर का प्रोजेक्ट लेट होता जा रहा था. सरकार स्तर पर होने वाली बैठकों में इसको लेकर नाराजगी भी व्यक्त की गई. इसके बावजूद जितेंद्र दुबे विवाद को सुलझाने में रुचि नहीं ले रहे थे. नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह 4 महीने पहले ही मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर जितेंद्र दुबे को हटाने की सिफारिश की थी. अब एक्शन ले लिया गया है.
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