काल गणना का केंद्र है बाबा महाकाल की नगरी! जानिए उज्जैन क्यों है हिंदू पंचांग का आधार?
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काल गणना का केंद्र है बाबा महाकाल की नगरी! जानिए उज्जैन क्यों है हिंदू पंचांग का आधार?

Ujjain News: उज्जैन, महाकालेश्वर मंदिर से प्रसिद्ध, काल-गणना, पंचांग निर्माण और साधना का केंद्र है. यह विक्रम संवत का जनक और सिंहस्थ कुंभ का आयोजन स्थल है. उज्जैन, कालिदास की नगरी, संस्कृत और संस्कृति के संगम का प्रतीक है.

Ujjain City Facts

Ujjain Facts: उज्जैन, मध्य प्रदेश का एक प्राचीन शहर, न केवल महाकालेश्वर मंदिर के लिए बल्कि काल-गणना, पंचांग निर्माण और साधना के लिए भी प्रसिद्ध है. कर्क रेखा और शून्य रेखांश पर स्थित इस नगरी का संबंध राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित विक्रम संवत से है, जो हिन्दू पंचांग का आधार है. सिंहस्थ कुंभ, जो हर 12 साल में यहां आयोजित होता है, उज्जैन की धार्मिक महत्ता को बढ़ाता है. कालिदास की नगरी के रूप में प्रचलित उज्जैन, संस्कृत साहित्य और संस्कृति के संगम का प्रतीक है. यहां के प्रमुख मंदिर, जैसे महाकालेश्वर, हरसिद्धि और काल भैरव, उज्जैन की धार्मिक धरोहर को दर्शाते हैं.

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नगर शून्य रेखांश पर स्थित है 
उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के साथ-साथ यह शहर अपनी अन्य विशिष्टताओं के लिए भी प्रसिद्ध है. उज्जैन को समय की गणना के लिए भी जाना जाता है. मान्यता है कि यह नगर शून्य रेखांश पर स्थित है और कर्क रेखा भी यहीं से गुजरती है. इन्हीं कारणों से इसे काल-गणना, पंचांग निर्माण और साधना के लिए सर्वोत्तम स्थल माना जाता है. बता दें कि हिंदू धर्म में उज्जैन का अत्यधिक धार्मिक महत्व है. यह नगर 51 शक्तिपीठों और चार प्रमुख कुंभ स्थलों में शामिल है. यहां हर 12 वर्षों में सिंहस्थ कुंभ और हर 6 वर्षों में अर्धकुंभ का आयोजन किया जाता है. जब सिंह राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य का गोचर होता है, तब यहां कुंभ का आयोजन होता है, जिसे सिंहस्थ कहा जाता है. यह पवित्र मेला मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के तट पर आयोजित होता है.

हिन्दू पंचांग 'विक्रम संवत' की शुरुआत हुई थी
इसके अलावा, उज्जैन का नाम राजा विक्रमादित्य के कारण भी महत्वपूर्ण है. प्राचीन समय में राजा विक्रमादित्य ने हिन्दू पंचांग 'विक्रम संवत' की शुरुआत की थी, जो आज भी प्रचलित है. इस संवत के आधार पर भारत के उत्तरी, पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं और नेपाल में भी इसे मान्यता प्राप्त है. विक्रम संवत से पहले युधिष्ठिर संवत, कलियुग संवत और सप्तर्षि संवत भी प्रचलित थे.

उज्जैन को संस्कृत के महान कवि कालिदास की नगरी के रूप में भी जाना जाता है. इसे पहले अवन्तिका, उज्जयिनी और कनक श्रृंगा के नाम से जाना जाता था. मध्य प्रदेश के पांचवें सबसे बड़े शहर के रूप में उज्जैन अपनी धार्मिक धरोहर और आस्थाओं के कारण दुनियाभर में पर्यटन का प्रमुख केंद्र है. महाकालेश्वर मंदिर के अलावा गणेश मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, गोपाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर और काल भैरव मंदिर भी यहां काफी प्रसिद्ध हैं. महाकाल मंदिर का विशेष पौराणिक महत्व है. कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहाँ दूषण नामक राक्षस का वध कर भक्तों की रक्षा की थी और उनके आग्रह पर यहां स्थायी रूप से विराजमान हो गए. यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरा और दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जो अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है.

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