MP: किसान आंदोलन में नहीं शामिल होंगे इस गांव के लोग!
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MP: किसान आंदोलन में नहीं शामिल होंगे इस गांव के लोग!

प्रदेश में 1 जून से 10 तक होने जा रहे किसान आन्दोलन को लेकर एक तरफ जहां प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी किया है तो वहीं सरकार परेशान है.

डेलनपुर के किसानों ने किसान आंदोलन का किया विरोध

नई दिल्लीः प्रदेश में 1 जून से 10 तक होने जा रहे किसान आन्दोलन को लेकर एक तरफ जहां प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी किया है तो वहीं सरकार भी काफी परेशान है. ऐसे में सरकार के लिए अच्छी खबर रतलाम के डेलनपुर से आई है. जहां के किसानों ने किसान आन्दोलन का ही विरोध कर दिया है और किसान आन्दोलन के दौरान शहर में सब्जियां और दूध उपलब्ध करवाए जाने की बात कही है. डेलनपुर के किसानों ने आंदोलन के दौरान शहरों में सब्जियां और दूध उपलब्ध कराने की बात भी कही है. ऐसे में सरकार के लिए यह राहत देने वाली खबर है क्योंकि पिछले साल किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा का केंद्र भी डेलनपुर ही था. लेकिन, डेलनपुर के किसानो की माने तो पिछले साल हुई हिंसा में बाहर के लोगों का हाथ था. 

  1. डेलनपुर के किसानों ने किसान आंदोलन का किया विरोध
  2. पिछले साल किसान आंदोलन का केंद्र था डेलनपुर
  3. डेलनपुर में हुए दंगों के बाद ही भड़की थी हिंसा

पिछले साल हुए किसान आंदोलन का केंद्र था रतलाम का डेलनपुर गांव
बता दें कि पिछले साल हुए किसान आंदोलन में यहां काफी उपद्रव हुआ था. जिसमें पुलिस के 3 शासकीय वाहनों को फूंक दिया गया था और पथराव के दौरान 1 पुलिस कर्मी की आंख भी चली गयी थी.लेकिन अब इसी गांव के किसानों का आरोप है कि पिछले किसान आंदोलन में उपद्रव करने वाले लोग गांव के नहीं थे. किसानों के अनुसार पिछले साल हुई हिंसा में कांग्रेस नेता डीपी धाकड़ का हांथ था. किसानों ने इस दौरान आंदोलन का विरोध करने और आम लोगों तक अपनी सेवाएं पहुंचाने की बात भी कही है.

इसलिए डेलनपुर के किसानों ने यह निर्णय लिया
दरअसल पिछले साल हुए किसान आंदोलन में हुई हिंसा को लेकर डेलनपुर के किसानों ने इस आंदोलन का विरोध किया है. इसी के चलते 1 से 10 जून के बीच होने जा रहे किसान आन्दोलन में डेलनपुर के किसान शामिल नहीं होंगे. ये किसान आंदोलन के दौरान रतलाम शहर में सब्जियां और दूध पहुंचाने की व्यवस्था खुद के खर्च पर करेंगे और अगर सब्जियों या दूध की ज्यादा आवश्यकता हुई तो घर-घर जाकर सब्जियां और दूध भी देंगे , किसानों का मानना है कि पिछले वर्ष उनके गांव से हिंसक आन्दोलन कर गांव को बदनाम करने की कोशिश की गई है जो इस बार नही होने दिया जाएगा.

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