MP Politics: मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव ने 8 महीने के लंबे इंतजार के बाद मंत्रियों को प्रभार के जिले बांट दिए, कैलाश विजवयर्गीय, राकेश सिंह, प्रहलाद सिंह पटेल जैसे सीनियर मंत्रियों के जिलों पर सबकी नजरे थी.
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सीएम मोहन यादव ने आठ महीने बाद अपने मंत्रियों को उनके प्रभार के जिले बांट दिए. खास बात यह है कि सीएम मोहन यादव ने खुद भी इंदौर जैसे अहम जिले का प्रभार अपने पास रखा है. मध्य प्रदेश में लंबे समय बाद ऐसा हुआ है जब सीएम ने खुद किसी जिले का प्रभार लिया हो. सबसे जरूरी बात यह है कि मंत्रियों को प्रभार के जिले मिलने से पहले प्रदेश के सियासी गलियारों में इस बात के खूब कयास लग रहे थे कि मंत्रियों को उनके आसपास के जिले ही दिए जाएंगे, जबकि सीनियर मंत्रियों को बड़े जिलों का प्रभार दिया जाएगा. लेकिन बीजेपी ने अपनी परिपाटी पर चलते हुए कुछ वैसा ही किया जैसा पहले होता रहा है, यानि जो सोचा जा रहा था कि हुआ उसके बिल्कुल उलट. दिनभर प्रदेश के सियासी गलियारों में प्रभारी मंत्रियों को लेकर जो चर्चा थी वह रात तक खत्म हो गईं.
24 मंत्रियों को दो जिलों का प्रभार
सीएम मोहन यादव ने 24 मंत्रियों को दो जिलों का प्रभार सौंपा है, जबकि सात मंत्रियों को एक-एक जिले का प्रभार दिया गया है. खास बात यह है कि चर्चा थी कि मंत्रियों के प्रभार में जो जिले आएंगे वह उनके गृह जिले से नजदीक होंगे, लेकिन इसके उलट हुआ, एक जिला नजदीक का रखा गया और एक जिला दूर का रखा गया है. जैसे कैलाश विजयवर्गीय को सतना जिले का प्रभारी मंत्री बनाया गया है, जबकि उन्हें धार की कमान भी दी गई है. धार नजदीक का जिला है, जबकि सतना दूर का जिला है. बिल्कुल ऐसे ही दूसरे मंत्रियों को भी प्रभार दिए गए हैं.
कैलाश विजयवर्गीय-प्रहलाद पटेल पर थी सबसे ज्यादा नजरें
मध्य प्रदेश में राजनीतिक जानकार मानकर चल रहे थे कि कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह जैसे सीनियर मंत्रियों को बड़े जिलों की जिम्मेदारी दी जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चर्चा थी कि विजयवर्गीय को भोपाल का प्रभार मिलेगा जबकि प्रहलाद पटेल जबलपुर के प्रभारी मंत्री हो सकते हैं. लेकिन कैलाश विजयवर्गीय को सतना और धार की जिम्मेदारी दी गई तो वहीं प्रहलाद पटेल को रीवा और भिंड का प्रभारी मंत्री बनाया गया. इसके अलावा राकेश सिंह को छिंदवाड़ा और नर्मदापुरम जिले का मंत्री बनाया गया है.
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सीएम मोहन के पास इंदौर
प्रभार के मंत्रियों में सबसे ज्यादा नजर इंदौर पर थी. क्योंकि इंदौर प्रदेश की आर्थिक राजधानी माना जाता है, जबकि यह जिला प्रदेश का सबसे बड़ा जिला भी है. लेकिन सीएम मोहन ने पावर अपने हाथ में ही रखा है. इंदौर जिले का प्रभार उन्हें खुद अपने हाथ में लिया है. जबकि राजधानी भोपाल की जिम्मेदारी पहली बार मंत्री बनाए गए रतलाम के विधायक चैतन्य काश्यप को दी गई है. इसके अलावा जबलपुर की जिम्मेदारी डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और ग्वालियर की कमान तुलसी सिलावट को दी गई है. वहीं सिंगरौली जिले के प्रभारी मंत्री को लेकर भी सबसे ज्यादा चर्चा थी कि लेकिन सिंगरौली का प्रभार भी पहली बार मंत्री बनी संपतिया उईके को दी गई है.
7 मंत्रियों को एक-एक जिले मिले
सीएम मोहन यादव ने 7 मंत्रियों को एक-एक जिले का प्रभार दिया है. इनमें चार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और चार राज्यमंत्री शामिल हैं. केवल कृष्णा गौर और लखन पटेल ऐसे राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं जिन्हें दो जिलों की जिम्मेदारी दी गई है. सीएम मोहन यादव के गृह जिले इंदौर की कमान राज्यमंत्री गौतम टेटवाल को दी गई है.
मध्य प्रदेश में मंत्रियों के बीच बनाया पावर का बैलेंस
दरअसल, मंत्रियों को प्रभार के जिलों की जिम्मेदारी सौंपने में यह बात स्पष्ट रूप से दिखी है कि सीएम मोहन यादव और बीजेपी आलाकमान ने मंत्रियों के बीच पावर का बैलेंस बनाया है. बताया जा रहा है कि मंत्रियों के प्रभार की लिस्ट दिल्ली आलाकमान से ही तय हुई है. जिसमें यह बात स्पष्ट रूप से दिखी है कि किसी भी मंत्री को सीधे-सीधे पावर में नहीं रखा गया है. डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को भी एक-एक जिला बड़ा दिया गया है, जबकि एक जिला थोड़ा दूर रखा गया है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी 3 मंत्रियों को भी उनके अंचल में आने वाले ही जिलों का प्रभार दिया गया है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि समन्वयय बनाकर रखा गया है.
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