पूरा देश हर्षोंल्लास के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मना रहा है.लेकिन शाजापुर जिले के शुजालपुर में एक बहन अपने भाई की जिंदगी बचाने के खुद की जान जोखिम में डालकर उसे बोन मेरो डोनेट करेंगी.
Trending Photos
शाजापुर: पूरा देश हर्षोंल्लास के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मना रहा है. भाई-बहन के प्यार के इस त्योहार पर रक्षासूत्र बांधने पर यूं तो भाई बहन को रक्षा का वचन देता है, लेकिन शाजापुर जिले के शुजालपुर में एक बहन अपने भाई की जिंदगी बचाने के खुद की जान जोखिम में डालकर उसे बोन मेरो डोनेट करेंगी.
दरअसल हम बात कर रहे है 7 साल की उम्र में 200 से अधिक बार खून चढ़वा चुके विनायक परमार की. जिन्हें थैलेसीमिया की बीमारी हैं. बचपन में ही हार्ट सर्जरी हो चुकी है. इसी 7 साल के भाई की जान बचाने रक्षाबंधन के बाद 9 साल की बहन चुनचुन परमार अपनी जान जोखिम में डाल उसे बोन मेरो डोनेट करेगी. ऑपरेशन के 21 लाख सहित इलाज के लिए कुल 25 लाख खर्च होना है. अब तक 18.50 लाख रुपए मदद के लिए जुट चुके हैं. बाकी राशि जुटाने के लिए नन्ही बहन ने लोगों से मदद की गुहार लगाई है.
बहन से राखी बंधाने निकले थे इसरो के वैज्ञानिक, रास्ते से ही हो गए लापता
लॉकडाउन में बिक गए ऑटो
जिले के शुजालपुर सिटी के वार्ड क्रमांक 3 निवासी संतोष परमार 5 सवारी ऑटो के मालिक थे, लेकिन बेटे विनायक की हार्ट सर्जरी कराने के साथ ही 2 साल पहले लॉकडाउन मे उनके सभी ऑटो बिक गए. अभी संतोष आटा चक्की पर काम करते हैं. 7 साल के बेटे विनायक को महीने में 4 बार खून चढ़ाना पड़ता है. करीब 4 हजार का मासिक खर्च बेटे के इलाज में होने के अलावा बच्चों की पढ़ाई व परिवार के खर्च के लिए संतोष के पास कमाई का कोई अन्य स्रोत नहीं है.
अब तक मिले 18 लाख रुपये
बैंगलोर के मजूमदार अस्पताल के 21 लाख रुपए का स्टीमेट देख अब तक कोल इंडिया कंपनी ने सीएसआर मदद से 10 लाख रुपए, सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी की पहल पर प्रधानमंत्री कार्यालय से 3 लाख, स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार की पहल पर मुख्यमंत्री कार्यालय से 2 लाख बच्चे के इलाज के लिए स्वीकृत हुए है. मंत्री इंदर सिंह परमार ने व्यक्तिगत 3 लाख की मदद भी की है. मध्यप्रदेश रेड क्रॉस सोसाइटी से कलेक्टर दिनेश जैन ने रेडक्रास से दोबारा मदद के लिए 50 हजार की स्वीकृति दी है. लेकिन फिर भी सांसे विनायक से दूर है, और मदद की जरुरत है. जर्मनी से भारत की हर अस्पताल तक संघर्ष कर चुके इस परिवार ने बताया कि अब तक कुल 18 लाख 50 हजार जुट चुके हैं, लेकिन ऑपरेशन के लिए ही अस्पताल में अभी 2 लाख 50 हजार जमा कराना बाकी है.
बहन से राखी बंधाने निकले थे इसरो के वैज्ञानिक, रास्ते से ही हो गए लापता
ऑपरेशन के दौरान तीन माह अस्पताल में भर्ती रहने के बाद करीब 3 माह अस्पताल के पास में दोनों बच्चों को नियमित चेकअप के लिए परिजनों के साथ एसी रूम में रखना होगा तथा इसके बाद 1 साल तक हर माह बेंगलुरु में चेकअप के लिए ले जाने के अलावा घर पर एसी कमरे में सावधानियों के साथ विनायक को रखना होगा. करीब 2 साल तक फॉलोअप चेकअप सहित परिवार को इलाज व उसके इंतजाम पर कुल 4 लाख का खर्च होगा.
जो मदद करना चाहे वो इस नंबर से जानकारी लें
अगर आप विनायक की मदद करना चाहे तो उनके पिता संतोष परमार के मोबाइल नंबर 89895 35473 या सहयोगी संस्था निशुल्क रोगी सेवा केंद्र हेल्प फॉर यू शुजालपुर के मोबाइल नंबर 94250 34250 पर संपर्क कर विस्तृत जानकारी, इलाज संबंधी प्रमाण व अस्पताल या परिजन के खाता नंबर प्राप्त करके आर्थिक मदद कर सकते हैं.