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प्रशांत शुक्ला/सिवनीः 9 अक्टूबर हर साल मध्य प्रदेश के लोगों के लिए खास रहता है. आज ही के दिन सिवनी जिले में आजादी से पहले यहां के 400 आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा का साथ देते हुए जंगल सत्याग्रह शुरू किया था. स्वतंत्रता संग्राम के कई किस्सों में से एक यह किस्सा भी याद किया जाता है, जब जिले में टूरीया गांव के पास ही आदिवासियों ने 9 अक्टूबर 1930 को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया था.
गुस्साए अंग्रेजों ने की थी सेनानियों की हत्या
ग्रामीणों के इस सत्याग्रह से बौखलाए अंग्रेजों ने मुड्डे बाई, रेनो बाई, देभो बाई और बिरजू भोई की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उन्हीं की स्मृति में टूरिया गांव में शहीद स्मारक का निर्माण भी किया गया है. यहां दूर-दूर से लोग पहुंचकर इन शहीदों को हर साल श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
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लकड़ी काटने पर लगा दिया था प्रतिबंध
दरअसल उस दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने जंगल पर अपना स्वामित्व जमाने के लिए लकड़ी काटने और वन उपज को ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. अंग्रेजों के आदेश का विरोध करने के लिए टूरिया गांव के पास करीब 400 आदिवासियों ने एकजुट होकर अंग्रेजों का विरोध किया. विरोध से गुस्साए अंग्रेजों ने गोली चालकर चार आदिवासियों को शहीद कर दिया था.
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