हिंदू और मुसलमान के घर पैदा होने वाले बच्चों को हम अपने धर्मों के सांचों में डालकर उन्हें गीता, कुरान और नमाज पढ़ाते हैं. उन्होंने पूछा कि हिंदू-मुस्लिम बच्चों को जन्म देने वाली मां की पीड़ा भी क्या अलग-अलग होती है.
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अजय राठौड़/श्योपुरः बॉलीवुड एक्टर फिरोज खान इन दिनों मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में हैं. यहां जी मीडिया से बात करते हुए उन्होंने देश में मजहब के नाम पर हिंदू-मुस्लिम का बंटवारा करने वालों पर जमकर निशाना साधा. साथ ही उन्होंने शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को भी माफ कर देने की दलील पेश की. उनका कहना है कि महाभारत में अर्जुन के किरदार ने ही उन्हें देशभर में पहचान दिलवाई.
बच्चों पर कंट्रोल होना जरूरी!
फिरोज खान ने बॉलीवुड में नशा कनेक्शन के बढ़ते क्रेज को लेकर दुख जताया. उन्होंने कहा, युवा पीढ़ी नशे की राह पर हैं, ये पैसों का ही नशा है और ये बड़े दुख की बात है कि ऐसा हो रहा है. बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की ड्रग केस में गिरफ्तारी पर उन्होंने कहा कि हर माता-पिता को अपने बच्चों का भविष्य कंट्रोल करना जरूरी है.
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आर्यन ने गलती की, उसे माफ करो
शाहरुख हो या फिरोज, कोई भी माता-पिता नहीं चाहेंगे कि उनके बच्चों को गलत तालीम मिले. हर कोई अपने बच्चों की बेहतर तरीके से परवरिश करना चाहता है. कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को गुमराह होते नहीं देख सकते, मीडिया द्वारा किसी एक व्यक्ति विशेष को टारगेट करना भी ठीक नहीं है, उन्होंने कहा कि आर्यन खान भी एक छोटा बच्चा है और अगर बच्चे से गलती हुई है तो उसकी गलती को माफ कर उसे छोड़ देना चाहिए.
मजहबी रोटी सेंकने वालों का चेहरा नहीं होता
फिरोज ने कहा कि देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत की दीवार खड़ी करने की कोशिश की जा रही है. धर्म के नाम पर मजहबी रोटी सेंकने वालों का कोई चेहरा नहीं होता. उन्होंने कहा कि मजहबी रंग में बांटने वाले लोग देश में अमन-चैन के दुश्मन हैं. बता दें कि फिरोज ने टीवी सीरियल महाभारत में अर्जुन का किरदार अदा किया है. उन्होंने कहा कि उनका जन्म जरूर फिरोज खान के रूप में हुआ, लेकिन उन्हें सम्मान अर्जुन के रूप में ज्यादा मिला.
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'मां की पीड़ा में भी धर्म देखते हैं क्या?'
वह बोले कि मजहब और धर्म को हम ही बांटते हैं, हिंदू और मुसलमान के घर पैदा होने वाले बच्चों को हम अपने धर्मों के सांचों में डालकर उन्हें गीता, कुरान और नमाज पढ़ाते हैं. उन्होंने पूछा कि हिंदू-मुस्लिम बच्चों को जन्म देने वाली मां की पीड़ा भी क्या अलग-अलग होती है. वह बोले कि हम सभी ही अपने बच्चों को अच्छे कर्म और अच्छे रास्तों पर चलने के संस्कार और अच्छी तालीम देते हैं.
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