MP news: महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट में अपनी जान गंवाने वाली अश्विनी कोष्टा के पिता उसके बचपन को याद करते हुए भावुक हो गए. पिता ने कहा कि अश्विनी बचपन से ही होनहार थी, पढ़ाई के साथ कई खेलों में भी नंबर 1 थी. अश्विनी कोष्टा के पिता ने इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में करने की बात कही है. वहीं गवाहों को भी सुरक्षा देने की बात की है.
Trending Photos
Pune Porsche car accident: मध्य प्रदेश के जबलपुर की बेटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर अश्विनी कोष्टा ने महाराष्ट्र के पुणे में हुए दर्दनाक पोर्श कार एक्सीडेंट में अपनी जान गंवा दी. अश्विनी बचपन से ही काफी होनहार थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाली अश्विनी ने 10वीं और 12वीं दोनों बोर्ड परीक्षाओं में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल कर पूरे परिवार का नाम रोशन किया था. बता दें कि पुलिस ने पोर्श कार एक्सीडेंट में 17 साल के नाबालिक जो की पोर्श चला रहा था, उसके पिता और दादा दोनों को हिरासत में लिया है और उन से पूछताछ की जा रही है.
जबलपुर के सैनिक सोसायटी इलाके के साकार हिल्स कॉलोनी में अश्विनी कोष्टा का घर है. अश्विनी कोष्टा केवल पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि खेलों में भी आगे रही हैं. अश्विनी के पास खेलों से लेकर अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में उसके द्वारा हासिल किए गए कई मेडल्स और प्रमाण पत्र हैं. अश्विनी के जीते हुई कई सारे मेडल्स उसके घर में हैं, जिन्हें देख कर उसके माता-पिता को अश्विनी की याद आ जाती है.
स्कूल से कॉलेज तक नंबर 1
अश्विनी कोष्टा स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई में अव्वल रही हैं. स्कूल की पढ़ाई होने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह पुणे गई थीं. कॉलेज में भी उसने फर्स्ट डिवीज़न में सफलता प्राप्त की. इंजीनियरिंग की पढ़ाई में भी अश्विनी ने 90 फीसदी नंबर हासिल किये थे. बेटी की मौत के बाद से माता-पिता के आंखों से आंसू रुकने के नाम ही नहीं ले रहे हैं.
ये भी पढ़ें : गर्मी के चलते आंगन में सोया था परिवार, मां को रौंद गया ट्रक, तीन बच्चे घायल
गवाहों की सुरक्षा होनी चाहिए
मामले को लेकर अश्विनी के पिता सुरेश कोष्टा का कहना है कि पोर्श कार एक्सीडेंट में हर दिन कुछ नया सुनने को मिल रहा है. जिससे लगता है कि आरोपी का परिवार पुलिस को गुमराह करने की कोशिश में है. अश्विनी के पिता ने ये भी कहा कि गवाहों की सुरक्षा होनी चाहिए ताकि उनको कोई बहला फुसला ना सके और बलपूर्वक गवाह पलट ना जाएं. साथ ही उनका कहना है कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी चाहिए. जिससे जल्द से जल्द न्याय मिल सके.
ऊंचे ख्वाब देखने वाली अश्विनी कोष्टा
हमेशा से सफलता के ऊंचे ख्वाब देखने वाली अश्विनी कोष्टा बड़ी मेहनती थी. उनके पिता कहते हैं कि बेटी की पढ़ाई में किसी प्रकार का अड़चन न आए, इसके लिए वह बाहर भी कम जाया करती थी. पुणे में नौकरी मिलने के बाद उसके खुशी का ठिकाना नहीं था, लेकिन तकदीर को कुछ और ही मंजूर था. उसकी खुशी ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाई.