72 घंटे बाद समाधि से निकले बाबा पुरुषोत्तमानंद, बोले- तीनों लोक के हो गए दर्शन
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72 घंटे बाद समाधि से निकले बाबा पुरुषोत्तमानंद, बोले- तीनों लोक के हो गए दर्शन


भोपाल में बाबा पुरुषोत्तमानंद जी महाराज ने 72 घंटे की भूमिगत समाधि ली थी. बाबा ने भू समाधि साधना का उद्धेश्य लोक कल्याण बताया है. हालांकि उनको समाधि लेने की अनुमति पुलिस से नहीं मिली थी.

72 घंटे बाद समाधि से निकले बाबा पुरुषोत्तमानंद, बोले- तीनों लोक के हो गए दर्शन

भोपालः आध्यात्मकि संस्था के संस्थापक बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज तीन से भू समाधि साधना में चले गए थे. आज 72 घंटे बाद वो जिस मुद्रा में गए थे उसी मुद्रा में बाहर निकले. बाबा पुरुषोत्तम ने जी मीडिया से बातचीत में बताया कि मुझे किसी तरह के मेडिकल हेल्प की जरूरत नहीं है. मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं. उन्होंने बताया कि माता रानी ने मुझे सभी लोकों के दर्शन करवाएं.

 

पुलिस ने नहीं दी थी इजाजत
बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज को समाधि लेने की पुलिस ने इजाजत नहीं दी थी. लेकिन बाद में पुलिस द्वारा शपथ पत्र लिखवाने के बाद बाब समाधि में उतर गए. बाबा के घर वालों का कहना है कि बाबा देवी के भक्त हैं और वे लोगों को चमत्कार दिखाने के लिए समाधि ली है. जहां एक तरफ बाबा के इस कठिन समाधि ने उनकी उत्सुका बढ़ा दी वहीं पुलिस प्रशासन को परेशान कर दिया. उनके पुत्र मित्रेश के अनुसार बाबा ने 10 दिन पहले अन्न  का त्याग कर जूस ले रहे थें. आज बाबा सुबह 11 बजे के करीब समाधि से बाहर निकले हैं.

जानिए क्यों ली भू समाधि
आपको बता दें कि पुरुषोत्तमानंद महाराज के मुताबिक वे संपूर्ण विश्व के कल्याण और भगवान के निकट आने के लिए भूमि समाधि ली है. उन्होंने समाधि लेने से पहले बताया था कि समाधि के दौरान साधक और भगवान एक दूसरे के निकट होते हैं. इस दौरान भक्त और भगवान के बीच बिल्कुल भी दूरी नहीं रहती है. उनका कहना था कि जनकल्याण के लिए संत महात्माओं को समय-समय पर इस प्रकार की समाधि लेनी पड़ती है.

इसके पहले भी ले चुके हैं समाधि
पुरुषोत्तमानंद महाराज ने समाधि लेने से पहले बताया कि वो इसके पहले जल समाधि ले चुके हैं. इस दौरान वे 12 घंटे तक पानी में रहे थें. वहीं उनका दावा है कि वो 1985 में अग्नि स्नान भी कर चुके हैं. अग्नि स्नान के दौरान वे 1985 में अपने शरीर पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली थी. उनका कहना है कि वे इस दौरान 80 फीसदी जले थें, लेकिन उनके शरीर पर आज एक भी जलने के निशान नहीं हैं.

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