Bhawna Dehariya : छिंदवाड़ा की बेटी ने बढ़ाया मान, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर लहराया तिरंगा
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1305871

Bhawna Dehariya : छिंदवाड़ा की बेटी ने बढ़ाया मान, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर लहराया तिरंगा

Bhawna Dehriya of Chhindwara: छिंदवाड़ा की भावना डेहरिया ने 15 अगस्त को यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर भारत का तिरंगा लहराया. एवरेस्ट विजेता भावना ने समुद्र तल से 5642 मीटर (18510 फीट) की ऊंचाई वाली यूरोप की इस चोटी पर सफलतापूर्वक पहुंचीं. माउंट एल्ब्रुस चोटी रूस-जॉर्जिया बॉर्डर (Mount Elbrus peak Russia-Georgia border) पर स्थित है.

Mountaineer Bhavna Dehriya

सचिन गुप्ता/छिंदवाड़ा: जिले की तामिया गांव की भावना ने स्वतंत्रता दिवस पर यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा लहराकर देश की आजादी का जश्न मनाया. माउंटेनियर भावना डेहरिया (Mountaineer Bhavna Dehriya) ने 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन जब पूरा भारत देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, तब भावना ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस (रूस) पर तिरंगा लहराकर देश का  आजादी का जश्न मनाया.

बेटी के जन्म के बाद भावना का ये पहला पर्वतारोहण अभियान
30 साल की भावना डेहरिया छिंदवाड़ा के तामिया गांव (Tamiya village of Chhindwara) की रहने वाली हैं. भावना 15 महीने की बेटी की मां हैं. बेटी के जन्म के बाद यह भावना का पहला पर्वतारोहण अभियान था. पर्वतारोही भावना 22 मई 2019 को माउंट एवरेस्ट के शिखर पर फतह हासिल करने वाली मध्यप्रदेश की प्रथम महिलाओं में से एक हैं. उन्होंने वर्ष 2019 में दीपावली के दिन अफ्रीका महाद्वीप में माउंट किलिमंजारो की सबसे ऊंची चोटी और होली के दिन ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के माउंट कोसियस्ज़को के सबसे ऊंचे शिखर पर फतह हासिल कर भारत का परचम दुनिया में लहराया था. 

 

 3,888 मीटर की ऊंचाई पर अपना बेस कैंप बनाया
पर्वतारोहण के क्षेत्र में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर भावना सेवन समिट मिशन के तहत सातों महाद्वीप के सबसे ऊंचे शिखर पर तिरंगा फहराएंगी. उनकी टीम 10 अगस्त को रूस की राजधानी मॉस्को से मिनरल्ने वोडी शहर पहुंची. 11 अगस्त को जलवायु-अनुकूलन रोटेशन के दौरान 2,346 मीटर की ऊंचाई तक गई. जिसमें नाक से खून का रिसाव हुआ. 12 अगस्त को अपने दल के साथ 3,888 मीटर की ऊंचाई पर अपना बेस कैंप बनाया और अगले दो दिन 4,500 मीटर तक रोटेशन तक चक्कर लगाए. ये रोटेशन शरीर को पर्वत के ऊपर होने वाले वायु दबाव के परिवर्तन और एक्यूट माउंटेन सिकनेस से बचाव के लिए जरुरी होता है.

ऐसा था सफर 
14 अगस्त की रात बारह बजे अपने दल के साथ माउंट एल्ब्रुस चोटी के लिए निकल पड़ी. 15 अगस्त को सुबह करीब 5:30 बजे पश्चिमी माउंट एल्ब्रुस (जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 5642 मीटर (18510 फीट) है) की चोटी पर समिट कर भावना ने तिरंगा लहराया. भावना बताती हैं कि ये सब बेहद मुश्किल और शरीर को थका देने वाला था. शिखर के नजदीक मौसम बहुत खराब था. बर्फ़बारी और 35 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्त्तार से चलने वाली तेज बर्फीली हवा के कारण विजिबिलिटी बहुत कम हो गयी थी. तापमान तेजी से गिर कर -25 डिग्री तक पहुंच गया था. हालांकि मां बनने के बाद माउंट एल्ब्रुस जाने से पहले तामिया के पर्वतीय क्षेत्र में भरपूर ट्रेनिंग की थी. जिसकी वजह से वो रिकॉर्ड समय में शिखर पर पहुंच पाई. इस अभियान में मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड और स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने सहयोग किया था.

Trending news