Chaitra Navratri: भंवरा वाली माता की महिमा देख ऐसा डरा औरंगजेब, मंदिर तोड़ने का ख्याल छोड़ दबे पांव भाग गया था
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Chaitra Navratri: भंवरा वाली माता की महिमा देख ऐसा डरा औरंगजेब, मंदिर तोड़ने का ख्याल छोड़ दबे पांव भाग गया था

Chaitra Navratri 2023: सीहोर जिले के आष्टा तहसील में स्थित भंवरा वाली माता मंदिर पर नवरात्रि पर भक्तों का तांता लगा रहता है. यह मंदिर काफी ज्यादा प्रसिद्ध है. इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि माता के चमत्कार को देख कर यहां से औरंगजेब वापस लौट गया था.

Chaitra Navratri: भंवरा वाली माता की महिमा देख ऐसा डरा औरंगजेब, मंदिर तोड़ने का ख्याल छोड़ दबे पांव भाग गया था

Navratri Special Story: चैत्र नवरात्रि का आज आठवां दिन है. नवरात्रि के अवसर पर देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर जिले के आष्टा तहसील के भंवरा वाली माता मंदिर काफी ज्यादा प्रसिद्ध है. इसकी ऐतिहासिकता के बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा. एक समय ऐसा था जब औरंगजेब के भारत की मंदिरों को नुकसान पहुंचा रहा था. इसी दौरान उसने इस मंदिर को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. लेकिन माता के चमत्कार को देखकर दबे पांव लौट गया था. क्या है मंदिर की ऐतिहासिकता जानते हैं.

लौट गया था औरंगजेब
भारत में औरंगजेब जब मंदिरों को नुकसान पहुंचा रहा था तो उसने भंवरा वाली माता को भी नष्ट करने का विचार बनाया. लेकिन कहा जाता है कि जब इस मंदिर के पास पहुंचा तो उसने तीन आवाज लगाई और फिर माता का चमत्कार देख कर उल्टे पांव निकल गया. इसके अलावा बताया जाता है कि उसने जब आवाज दी तो उसे कुछ विशेष अनुभूति हुई जिसकी वजह से वह माता को प्रणाम करके इलाही नाम से संबोधित करके चला गया. तब से माता को इलाही वाली माता के नाम से भी पुकारा जाता है. बता दें कि औरगंजेब ने ये प्रण लिया था कि जिस मंदिर में उसे कोई चमत्कार दिखेगा वह उसे नष्ट नहीं करेगा.

सनातन काल से जल रही है ज्योति
भंवरा वाली माता की लोकप्रियता कई राज्यों में है. मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां पर सनातन काल से ही दो अखंड ज्योति जल रही है. इस ज्योति को लेकर कहा जाता है कि यह करंज के तेल से जलती है. जो देश भर में प्रसिद्ध है स्थानीय लोगों और साक्ष्यों के मुताबिक मंदिर लगभग 2500 सालों पुराना है. यहां पर मंदिर के इतिहास को पाली भाषा में लिखा गया है. इसके अलावा मंदिर से मिले शिलालेख जिला संग्रहालय में रखे गए हैं.

अलग - अलग रुपों में मां देती हैं दर्शन
नवरात्रि के अवसर पर माता के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. इसके अलावा भी मंदिर में साल भर भक्त पूजा करने आते हैं. मंदिर को लेकर ऐसी भी मान्यता है कि माता चारों पहर में भक्तों को अलग अलग रुप में दर्शन देती हैं. मंदिर के सामने एक जलाशय भी है जिसे लेकर कहा जाता है कि यह आज तक कभी सूखा नहीं है.

मंदिर के पास स्थित है शिवालय
भंवरा माता के पास लगभग 20 मीटर की दूरी पर शिवलिंग भी है. इससे लोग कहते हैं कि जहां सती है वहां शिव है. इस शिवलिंग को लेकर भी कहा जाता है कि यह लगभग 2500 साल पुराना है. माता का दर्शन करने आने वाले लोग शिव का भी दर्शन करते हैं.

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