Damoh Hijab Controversy: दमोह (Damoh) के गंगा जमुना स्कूल (Ganga Jamuna School) की मान्यता निरस्त होने के बावजूद विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. एक तरफ जहां जिला शिक्षा अधिकारी पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कालिख पोत दी तो वहीं जिला शिक्षा अधिकारी ने बड़ा बयान दिया है.
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महेंद्र दुबे/दमोह: दमोह के गंगा जमना स्कूल मामले में एक बड़ी जानकारी निकल कर सामने आई है. दमोह जिला शिक्षा अधिकारी ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है कि उनके द्वारा गंगा जमाना स्कूल की कोई जांच नहीं की गई है और वो कलेक्टर के आदेश पर सिर्फ स्कूल गए थे. जहां हिजाब पहने बच्चियों का पोस्टर लगा था. जिसे उन्होंने निकलवाया था. जिला शिक्षा अधिकारी ने मंगलवार की देर रात दमोह के कोतवाली थाना में ये खुलासा किया.
दरअसल मंगलवार की दोपहर जिला शिक्षा अधिकारी एस के मिश्रा पर भाजपा नेताओं ने स्याही फेंकी और मुंह पर कालिख लगाई थी. मिश्रा इसी मामले में भाजपा नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने आये थे. पूरे दिन इस मामले में शिकायत दर्ज कराए जाने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन मिश्रा नहीं गए और देर रात अचानक वो पुलिस थाने पहुंचे जहां उन्होंने जिला भाजपा उपाध्यक्ष अमित बजाज, भाजपा मांझी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष मोंटी रैकवार सहित 2 अन्य पर मामला दर्ज कराया है. जिला शिक्षा अधिकारी एस के मिश्रा का कहना है कि जिन लोगों ने उन पर स्याही फेंकी है. उन भाजपा नेताओं ने बीते दिनों स्कूलों में ठेका लेकर काम किया था. जिसके बिल पेंडिंग है और उनकी नाराजगी इसी बात को लेकर थी और गंगा जमना स्कूल के मामले को मुद्दा बनाकर ये हरकत की है.
कोई जांच नहीं की गई
जिला शिक्षा अधिकारी एस के मिश्रा ने बताया कि सरकारी काम से जाते वक्त भाजपा नेताओं ने उनके साथ ये कृत्य किया है. इस दौरान मीडिया से बात करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने दावा किया कि हिजाब मामले के पहले दिन से अब तक उन्होंने गंगा जमना स्कूल की कोई जांच नहीं की. मिश्रा के मुताबिक सोशल मीडिया पर हिजाब वाले पोस्टर वायरल होने के बाद कलेक्टर दमोह के आदेश पर वो गंगा जमना स्कूल गए थे. वहां हिजाब वाला पोस्टर लगा था. जिसे उन्होंने निकलवाया था. इसके अलावा कोई जांच नहीं की और न ही कोई लिखित रिपोर्ट कलेक्टर को दी है.
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कलेक्टर के ट्वीट पर उठे सवाल
जिला शिक्षा अधिकारी का ये बयान इसलिए भी बड़ा है क्योंकि गंगा जमना स्कूल हिजाब मामला जब सिर्फ सोशल मीडिया पर था. तब अचानक कलेक्टर दमोह मयंक अग्रवाल ने ट्वीट कर लिखा था कि स्कूल की जांच जिला शिक्षा अधिकारी से कराई है और ऐसा कुछ नहीं पाया गया. कलेक्टर की इसी ट्वीट पर जिले के एसपी राकेश कुमार सिंह ने भी लिखा था कि जांच में कोई दोषी नहीं पाया गया. इस ट्वीट के बाद हिंदूवादी संगठन सड़कों पर आए और मामला दमोह से निकलकर भोपाल और दिल्ली तक पहुंचा.
निलंबित के आदेश जारी नहीं हुए
मंगलवार को ही प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने हिजाब मामले में दमोह कलेक्टर की भूमिका पर सवाल उठाए और अब जिला शिक्षा अधिकारी ने दावा किया कि उन्होंने कोई जांच नहीं की है. मामला अपने आप मे पेंचीदा होता जा रहा है. स्कूल शिक्षा मंत्री ने मंगलवार को दिन में ही जिला शिक्षा अधिकारी को निलंबित करने के निर्देश विभाग को दिए थे. लेकिन देर रात तक विभाग ने अधिकारी को निलंबित करने के कोई आदेश सार्वजनिक नहीं किये हैं.
बहरहाल एक बार फिर जिले कलेक्टर मयंक अग्रवाल कटघरे में खड़े है. क्योंकि अपने ट्वीट के जरिये स्कूल को क्लीन चिट देने वाले कलेक्टर जिस जिला शिक्षा अधिकारी की जांच का हवाला दे रहे हैं वो जिला शिक्षा अधिकारी ऐसी किसी भी जांच से साफ इंकार कर रहे हैं. अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है जबकि पूरे मामले में जिले के दोनों जिम्मेदार अधिकरियो कलेक्टर औऱ एसपी शामिल है जिन पर स्कूल को पहले ही क्लीनचिट देने के आरोप लग रहे हैं.
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बीजेपी ने जारी किया नोटिस
वहीं दमोह में मंगलवार को जिला शिक्षा अधिकारी पर भाजपा नेताओं द्वारा स्याही फेंकने और कालिख लगाने के मामले को सत्ताधारी भाजपा ने गम्भीरता से लिया है. प्रदेश अध्यक्ष की नाराजगी के बाद अब दमोह के इन नेताओं पर पार्टी कार्रवाई करने जा रही है. जिला भाजपा ने पार्टी के जिला उपाध्यक्ष अमित बजाज भाजपा मछुआ संघ के जिलाध्यक्ष मोंटी रैकवार और कार्यकर्ता संदीप शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किए है. भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि भाजपा अनुशासन प्रिय पार्टी है. गंगा जमना स्कूल के मामले में प्रशासान जांच कर रहा है और पार्टी को प्रशासनिक जांच पर पूरा भरोसा है. ऐसे में सरकारी अधिकारी पर स्याही फेंकने जैसे मामलों का भाजपा समर्थन नहीं करती. नोटिस में जवाब के लिए सात दिन का समय दिया गया है.